छत्तीसगढ़। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) रंग में सभी पार्टियों के नेता रंग चुके हैं। और अब होली के बाद सियासत का गाढ़ा रंग लोकसभा चुनाव के बाद ही खत्म होगा। ऐसे में नेताओं ने भी रंग बदलने शुरू कर दिए हैं। कोई खुद की पार्टी छोड़ मजबूत ठिकाने की तलाश में है तो कोई शांत है। इन सब के बीच कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता हर दिन कहीं न कहीं बीजेपी का दामन थामते (Joining BJP) नजर आ रहे हैं।
बहरहाल, जिस तरीके कई लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के प्रत्याशियों के नामों की घोषणा के बाद पार्टी के अंदर ही विरोध के सुर फूटने लगे हैं। उससे जाहिर होता है कि शायद इस बार BJP कहीं अपने 11 की 11 लोकसभा की सीटों को जीतने में कामयाब न हो जाए। वैसे ये चर्चाओं और चुनावी गुणा गणित के आंकलन करने वाले महारथियों के हैं। अगर देखा जाए तो कांग्रेस में टिकट पाने वाले उम्मीदवारों का विरोध अब सतह पर आ गया है। कहीं कांग्रेस कार्यकर्ता सामूहिक इस्तीफे देने की धमकी पार्टी को दे रहे हैं तो कोई टिकट दिए जाने के विरोध में धरने पर बैठ रहे हैं। ऐसे में बीजेपी को एक बड़ा फायदा मिल रहा है।
हाल ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष किरणदेव के तमाम कार्यक्रमों में हजारों की संख्या में कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के साथ-साथ समाज के सम्मानितजन भी भारी संख्या में बीजेपी में शामिल हुए हैं।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद BJP को ही लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक सीटें मिलती रही हैं। इसके पीछे भी कारण है कि ‘पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी’ के छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाने के अमूल्य और ऐतिहासिक योगदान को आज तक लोग नहीं भूले हैं। इसके अलावा पीएम मोदी की गांरटी और एक आदिवासी के बेटे विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाए जाने का ऐतिहासिक फैसला भी एक कारण है।
इसके साथ ही मात्र तीन महीने में मोदी की गारंटी के सभी वादों को पूरा करने में जिस तरीके से विष्णुदेव साय ने अपनी कैबिनेट के साथ मेहनत की है, वह अब जनता के दिलो दिमाग में एक अमिट छाप छोड़ चुके हैं। इनके और पीएम मोदी के प्रभाव के साथ-साथ BJP में एक सामान्य कार्यकर्ता भी मुख्यमंत्री और मंत्री, विधायक बन सकता है, इस बात को महसूस कर कांग्रेस ही नहीं, अन्य सभी पार्टी के कार्यकर्ताओं में BJP में शामिल होने की होड़ मची है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी होने के 24 घंटे के भीतर ही कांग्रेस के 4 में से दो उम्मीदवारों का खुलकर विरोध शुरू हो गया है। एक ओर जहां बिलासपुर में कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव के खिलाफ नगर पंचायत बोदरी के पूर्व अध्यक्ष जगदीश कौशिक धरने पर बैठ गए हैं, तो वहीं दूसरी ओर सरगुजा प्रत्याशी शशि सिंह का विरोध भी जमकर हो रहा है। विरोध के सुर तो राजनांदगांव और महासमुंद में भी सुनाई पड़ रहे हैं।
दरअसल, कांग्रेस ने बिलासपुर लोकसभा सीट से भिलाई विधायक देवेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है। जिससे बिलासपुर के कुछ स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। नाम की घोषणा होने के बाद से सोशल मीडिया पर देवेंद्र यादव को बाहरी बताकर तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। बोदरी नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष जगदीश कौशिक तो कांग्रेस भवन के बाहर आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।
बुधवार की रात कौशिक ने कांग्रेस भवन के सामने अकेले रात गुजारी। इससे पहले दोपहर में कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय पांडेय और विजय केशरवानी उन्हें मनाने के लिए पहुंचे थे, लेकिन वे नहीं माने। जिसके बाद उन्होंने इसकी जानकारी प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भी दी। प्रदेश कमेटी ने जगदीश कौशिक से कोई बात नहीं की है। कौशिक का कहना है कि मांग पूरी होने के बाद ही मैं अनशन तोड़ूंगा। मेरी सिर्फ एक ही मांग है कि मुझे लोकसभा उम्मीदवार बनाया जाए।
सरगुजा लोकसभा सीट से शशि सिंह को कांग्रेस प्रत्याशी बनाए जाने पर उन्हीं के गृह क्षेत्र प्रेमनगर में विरोध शुरू हो गया है। कांग्रेस प्रदेश सचिव और जिला पंचायत उपाध्यक्ष नरेश राजवाड़े के आवास पर बुधवार को बड़ी संख्या में कांग्रेसी जमा हो गए और शशि को टिकट देने का विरोध किया। कार्यकर्ताओं का कहना है कि शशि सिंह और उनके पिता तुलेश्वर सिंह ने चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ काम किया और प्रत्याशी को हराने में भूमिका निभाई। कांग्रेस नेता शशि सिंह के लिए काम नहीं करेंगे।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पाटन से विधायक हैं। दुर्ग संभाग से आने वाले बघेल को पार्टी ने लोकसभा के चुनावी मैदान में राजनंदगांव से मैदान में उतारा है। हफ्ते भर पहले ही पार्टी के सीनियर नेता और PCC डेलीगेट रामकुमार शुक्ला ने उनका टिकट काटने की मांग की। इसे लेकर उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र भी लिखा था।
कांग्रेस पार्टी ने इस बार महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू को उम्मीदवार बनाया है। ये साहू बहुल सीट है, ऐसे में यहां से शुरू से ही साहू प्रत्याशी को मैदान में उतारने की तैयारी थी। पहले चर्चा थी कि महासमुंद से धनेंद्र साहू को टिकट मिलेगा और दुर्ग से ताम्रध्वज को, लेकिन जब लिस्ट आई तो ऐसा नहीं हुआ। ताम्रध्वज के नाम के ऐलान के बाद स्थानीय नेताओं ने विरोध भी किया था, लेकिन धीरे-धीरे विरोध का शोर थम गया और फिलहाल कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में जुटे हैं।
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