Political Story : टिकट के सियासी ‘झंझावत’ में जूझ रहीं BJP-कांग्रेस!

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावी जंग (Chhattisgarh assembly election battle) में कांग्रेस-बीजेपी (Congress BJP) कोई भी रिक्स नहीं लेना चाह रही हैं।

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  • Updated On - October 21, 2023 / 12:52 PM IST

छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावी जंग (Chhattisgarh assembly election battle) में कांग्रेस-बीजेपी (Congress BJP) कोई भी रिक्स नहीं लेना चाह रही हैं। यही कारण है कि एक-एक सीट पर अपने उम्मीदवारों को फाइनल करने में दोनों पार्टियों ने कड़ी मशक्कत की है। अब भी बीजेपी-कांग्रेस में कुछ विधानसभा के सीटों पर नामों को तय करने के सियासी झंझावतों में जूझ रही है। भाजपा की तीन सूची आने के बाद भी चार सीटें अभी तक घोषित नहीं हो पाई हैं। वहीं कांग्रेस की दो सूची के बाद भी सात सीटों को रोका गया है। दोनों ही पार्टियों में सीटों को घोषित नहीं करने के पीछे की वजह अलग-अलग है। कांग्रेस ने जिन सात सीटों को रोका है, उनमें एक सीट छोड़ हर पर विधायक हैं। इन सभी विधायकों की रिपोर्ट बेहतर नहीं है। इन सीटों पर दावेदार भी कई हैं। एआईसीसी ने हाल ही में एक सर्वे भी करवाया है। अब एक अंतिम बैठक होनी है, जिसके बाद यह डिक्लेयर कर दी जाएंगी। बताया जा रहा है कि आधे विधायकों की टिकट तो कटना तय ही है। वहीं भाजपा की चारों सीटें जातिगत समीकरण की वजह से फंसी हुई हैं।

भाजपा में जातिगत और कांग्रेस में 6 विधायकों पर चल रहा विचार

अंबिकापुर : सरगुजा में 5 सीटें सामान्य हैं। मनेंद्रगढ़, भटगांव, बैकुंठपुर में ओबीसी और प्रेमनगर में एसटी को प्रत्याशी बनाया है। अंबिकापुर में पार्टी सामान्य को टिकट देना चाहती है।

बेमेतरा : राहुल टिकरिया का टिकट लगभग तय हो चुका था। दूसरी सूची में इनका नाम भी था, लेकिन कुछ दिन पहले जोगी कांग्रेस के 2018 के उम्मीदवार योगेश तिवारी के भाजपा ज्वाइन से समीकरण बिगड़ा।

बेलतरा : तखतपुर से धर्मजीत सिंह और कोटा से प्रबल प्रताप सिंह को टिकट दी गई है। विधायक रजनीश सिंह की टिकट जातिगत समीकरण में फंसी।

कसडोल : प्रबल उम्मीदवार गौरीशंकर अग्रवाल हैं। पार्टी पहले से तीन अग्रवाल को टिकट दे चुकी है। ऐसे में जातिगत समीकरण के तहत यह भी टिकट फंसी हुई है।

रायपुर उत्तर : भाजपा ने सिंधी समाज के प्रत्याशी का टिकट काटा है, ऐसे में कांग्रेस सिंधी उम्मीदवार पर विचार कर रही है।

धमतरी : यहां पर सिंधी और पंजाबी समुदाय के प्रत्याशी मजबूत दावेदार हैं। बड़े नेता समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए जोर लगा रहे हैं।

सिहावा: विधायक के खिलाफ स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। सर्वे रिपोर्ट में परफार्मेंस खराब होने के कारण टिकट अटकी है।

बैकुंठपुर : यह सीट भी बड़े नेताओं के खींचतान तथा विधायक के सर्वे रिपोर्ट के कारण अटकी हुई है।

सरायपाली : यहां हाल ही में भाजपा से आए एक प्रत्याशी ने भी प्रबल दावेदारी कर दी है। इसलिए इस टिकट को विचाराधीन कर दिया गया है।

महासमुंद : सर्वे रिपोर्ट में विधायक की सक्रियता कम बताई जा रही है। स्थानीय नेताओं का विरोध तथा दूसरे अन्य नेताओं की दावेदारी के कारण प्रत्याशी पर पेंच फंसा हुआ है। यहां से जिलाध्यक्ष भी प्रबल दावेदारी कर रही हैं।

कसडोल : विधायक ऑडियो-वीडियो वायरल होने से कई बार विवादों में रहीं। यहां से 14 से अधिक दावेदारों ने विधायक को टिकट नहीं देने की मांग की है।

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