Political Story : छत्तीसगढ़ 11 सीटें’… से अबकी बार ‘मोदी 400’ पार! यहां हर लोस चुनाव में BJP भारी…

By : madhukar dubey, Last Updated : March 17, 2024 | 3:15 pm

रायपुर। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) की रणभेरी बज चुकी है। यहां छत्तीसगढ़ में 3 चरणों में लोकसभा का चुनाव होगा। ऐसे में अब प्रदेश की सियासत चुनावी मोड में आ गई है। बीजेपी और कांग्रेस के अपने-अपने जीत के दावे कर रही है। जहां बीजेपी ने 11 की 11 सीटों को क्लीन स्वीप करने का ऐलान किया है। वहीं कांग्रेस भी आधे से अधकि सीटों के जीतने का दंभ भर रही है। लेकिन अगर राजनीतिक जानकारों और राज्य बनने के बाद अब तक लोकसभा चुनावों के आंकड़ों पर गौर करें तो यह बात निकल कर सामने आती है। यहां की जनता ने छत्तीसगढ़ राज्य बनाने में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा मध्यप्रदेश से अलग छत्तीसगढ़ राज्य (Chhattisgarh State) बनाने की वजह से बीजेपी को लोकसभा चुनाव में वोट देती रही है।

  • यह दीगर है कि 1-2 सीटें कांग्रेस जीत सकी है। वैसे पिछली बार 2018 के विधानसभ चुनाव के बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। लेकिन इस
    बार तो विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की है, ऐसे में पूरी ताकत से 11 की 11 क्लीन स्वीप करने के इरादे के साथ बीजेपी चुनावी मैदान में ताल ठोंकती है। वैसे मतदान के दिन ही पता चल पाएगा कि किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी।

देखा जाए तो छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अभी तक 4 लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने सबसे ज्यादा सीटें हासिल की है। 2004, 2009 और 2014 में 11 में से 10 सीटों पर BJP ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2018 का विधानसभा चुनाव में बड़ी हार के बावजूद 2019 में भाजपा 9 सीटें जीतने में सफल रही।

  • अब तक हुए लोकसभा चुनावों में कोंग्रेस के कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है।। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, चरणदास महंत, दिवंगत पूर्व सीएम अजीत जोगी, श्यामाचरण शुक्ल और बस्तर टाइगर कहे जाने वाले महेंद्र कर्मा का नाम शामिल है।

वहीं भाजपा से सरोज पांडेय और कांग्रेस छोड़कर NCP और फिर BJP में शामिल हुए विद्याचरण शुक्ल को भी हार झेलनी पड़ी। इसके बाद विद्याचरण कांग्रेस में दोबारा शामिल हो गए। महेंद्र कर्मा और विद्याचरण कांग्रेस के उन दिग्गज नेताओं में शामिल हैं, जो झीरम घाटी नक्सली हमले में मारे गए थे।

2019 के चुनाव में ज्योत्सना और बैज जीते

  • साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में 68 सीटों के बड़े बहुमत के साथ सरकार बनाई। जबकि बीजेपी 15 सीटों में ही सिमट गई थी। इसके अगले ही साल 2019 में लोकसभा चुनाव हुए।

प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि इस चुनाव में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करेगी, लेकिन मोदी मैजिक ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस के खाते में सिर्फ कोरबा और बस्तर सीट ही आई।

2014 में जोगी, महंत और सत्यनारायण शर्मा हारे

  • 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। सिर्फ दुर्ग सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार ताम्रध्वज साहू ने सरोज पांडेय को शिकस्त दी। वहीं महासमुंद से दिग्गज नेता अजीत जोगी, कोरबा से चरणदास महंत और रायपुर से सत्यनारायण शर्मा को हार का सामना करना पड़ा।

खास बात यह है कि महासमुंद लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार चंदूलाल के साथ ही 11 अन्य चंदूलाल निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में थे। उन सभी को अच्छे वोट मिले, लेकिन जीत फिर भी भाजपा के चंदूलाल की ही हुई।

2009 में बैस से हारे थे भूपेश, महंत ने जीता था कोरबा

  • 2009 के लोकसभा चुनाव में भूपेश बघेल को कांग्रेस ने रायपुर लोकसभा से टिकट दी थी। उस समय रमेश बैस से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसी तरह जांजगीर से शिव डहरिया को भी हार मिली थी। केवल कोरबा सीट ही कांग्रेस के खाते में आई। यहां करुणा शुक्ला को हराकर चरणदास महंत ने जीत हासिल की थी।

2004 में सिर्फ अजीत जोगी ही कांग्रेस से जीते पाए

राज्य बनने के बाद पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल 1 ही सीट मिल पाई। महासमुंद सीट से बीजेपी में आए विद्याचरण शुक्ल को अजीत जोगी से हार का सामना करना पड़ा था। जबकि इस समय प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी। बस्तर से महेन्द्र कर्मा, कोरबा से महंत और दुर्ग से भूपेश बघेल को हारे थे।

इस बार भूपेश बघेल राजनांदगांव, डहरिया जांजगीर से मैदान में

  • पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल साल 2023 के विधानसभा चुनाव में 6वीं बार पाटन से विधायक चुने गए हैं, लेकिन लोकसभा के नतीजे उनके पक्ष में नहीं रहे। साल 2004 में दुर्ग और 2009 के आम चुनाव में रायपुर लोकसभा से उन्हें हार झेलनी पड़ी। इस बार कांग्रेस पार्टी ने राजनांदगांव सीट से बघेल को प्रत्याशी बनाया है।

नाम का ऐलान होते ही बघेल लोकसभा क्षेत्र में एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। बघेल को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद ये राजनांदगांव प्रदेश की हॉट सीट बन गई है। उनके सामने बीजेपी से मौजूदा सांसद संतोष पांडेय प्रत्याशी हैं, इसलिए मुकाबला बेदह दिलचस्प होने वाला है।

  • इसी तरह 2009 में शिव डहरिया को कमलादेवी पाटले से जांजगीर सीट में हार का सामना करना पड़ा था। इस बार उनके सामने बीजेपी से महिला प्रत्याशी कमलेश जांगड़े मैदान में हैं, जो की नया चेहरा हैं। केवल कांग्रेस ही नहीं बल्कि बीजेपी के भी दिग्गज नेताओं की साख इस चुनाव से जुड़ी हुई है।

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