रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में मोदी की गारंटी (Modi’s guarantee) पर बीजेपी सत्ता में आई है। इसके बाद यहां जिस तरीके से युवाओं को विधायक और मंत्री बनाया गया। वह चौंकाने वाला है। बहरहाल, यहां आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री और उनके साथ दो डिप्टी सीएम अरुण साव और विजय शर्मा बने। इसके जरिए बीजेपी ने क्षेत्रीय और जातीय दोनों स्मीकरण को साधने की कोशिश की। वहीं पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी को वित्त मंत्रालय देना भी लोकसभा चुनाव में बड़ा फर्क डालेगा। क्योंकि ओपी चौधरी युवाओं के आईकान के रूप में स्थापित हो चुके है। वहीं अगर बात करेंगे तो अरुण साव और विजय शर्मा की लोकप्रियता है। उनके डिप्टी सीएम बनने से छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बीजेपी कार्यकर्ताओं और जनता दोनों में उत्साह है।
लोगों में यह भी मनोभाव है कि यहां बीजेपी ने छत्तीसगढ़ राज्य बनाने के बाद राज्य के इतिहास में पहली बार किसी आदिवासी समुदाय के नेता को सीएम बनाना, जो आज तक कभी नहीं हुआ था। जिसे बीजेपी ने पूरा किया, यानी सत्ता में आने के बाद भी बीजेपी ने मंत्रीमंडल में भी सोशल इंजीनियरिंग कर डाली। ऐसे दो चीजें में पहला, बीजेपी ने बाजी मार ली कि लोकसभा चुनाव में मोदी फैक्टर के साथ-साथ सरकार गठन का फायदा मिलेगा। दूसरा बीजेपी ने पांच साल बाद दोबारा सत्ता में आने का बीजारोपण भी कर दिया है। वैसे ये तो आने वाले समय पर छोड़ देना चाहिए। यहां कांग्रेस दम तोड़ती दिख रही है। क्योंकि कांग्रेस के मुख्य नेताओं पर भ्रष्टचार की जांच शुरू हो गई है। इधर बीजेपी मोदी की गारंटी पर खेल रही है। इधर कांग्रेस संगठन सत्ता गंवाने के आवाक और स्तब्ध है। चुनाव हारने के बाद खुद कांग्रेस नेताओं को समझ में नहीं आया कि क्या हुआ।
इधर कांग्रेस विधानसभा चुनाव के दौरान दावा कर रही थी कि 75 सीटें से पार जाएंगे। लेकिन बदले सियासी माहौल में बीजेपी इतनी भारी पड़ गई कि कांग्रेस को सत्ता को हाथ धोना पड़ गया है। इसके पीछे कारण थे एक तो पार्टी के अंदर टिकट वितरण को लेकर गुटबाजी और नाराजगी। तो दूसरी ओर भ्रष्टाचार के तमाम मुद्दे, जिसके गलत होने की बात कांग्रेस जनता को समझा नहीं पाई। वैसे हमेश कांग्रेस के नेता कहते रहे कि ईडी और आईटी के भरोसे बीजेपी चुनाव लड़ रही है। लेकिन जब भ्रष्टाचार के अारोप में कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबियों को जमानत सालभर में नहीं मिली।
इससे जनता और बीजेपी ने घेरा कि यह जितने आरोप है सबके सबूत प्रमाणिक हैं। जांच एजेंसियों का यह स्वतंत्रत काम है, इसमें बीजेपी पार्टी का कोई सरोकार नहीं है। इसके अलावा मोदी के गारंटी के वे वादे जो कांग्रेस आगे थे। ऐसे में यहां मोदी की गारंटी की लहर चली और बीजेपी को सत्ता सुख एक बार और मिल गया। जबकि बीजेपी ने विधानसभा चुनाव किसी के चेहरे पर नहीं लड़ा था।
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