रायपुर। छत्तीसगढ़ की सियासत में एक ऐसा नाम, जिसने कभी चुनावी युद्ध के मैदान में मात नहीं खाई। उन्होंने अपने गढ़ में सामाजिक तानाबाना इस कदर बुना, जिसे भेद पाना किसी भी सियासी दिग्गज के वश की बात नहीं। इसके पीछे कारण है वह सबके सुख-दुख में सदैव साथ खड़े रहते हैं। उनके सियासी दरबार से कोई वर्ग हो, वह कभी निराश नहीं लौटता। लोगों में उन्होंने ऐसा विश्वास पैदा किया है कि अगर कहीं कोई आशा की किरण न हो, लेकिन उनके पास समस्या का हल जरूर निकलता है।
रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से 1990 से लगातार चुनाव जीतने वाले बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सभी के समर्थन और आशीर्वाद से नयी पारी शुरू करने जा रहा हूं। मेरी इच्छा है कि मैं लोगों की भावनाओं के अनुरूप काम करता रहूं। मुझे किसी बात का कोई अफसोस नहीं है। अग्रवाल ने रायपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय को 5,75,285 मतों से हराया। 8 बार विधायक रहे अग्रवाल ने पिछले साल विधानसभा चुनाव में रायपुर शहर दक्षिण विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मदवार के खिलाफ सबसे अधिक 67,719 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।
सूत्रों के मुताबिक बृजमोहन अग्रवाल के रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट के अभेद गढ़ में उनके इस्तीफा देने के बाद भाजपा इस सीट पर उम्मीदवार तय करने के लिए उनकी राय लेगी। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है किउनकी जमीनी पकड़ मजबूत है। बृजमोहन अग्रवाल के साथ सभी वर्ग के लोग जुड़े हैं। ऐसे में उनकी राय लेने से भाजपा को फायदेमंद साबित होगा। माना जा रहा है कि नगरीय निकाय के साथ हो सकते हैं उपचुनाव राज्य में पांच महीने बाद नगरीय निकाय चुनाव होने की संभावना है। ऐसे में माना जा रहा है कि नगरीय निकाय चुनाव के साथ ही रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर भी चुनाव हो सकते हैं।
रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट खाली होने के बाद उपचुनाव की संभावना से कांग्रेस में भी टिकट दावेदारों में होड़ मचने की खबर है। कांग्रेस के नेताओं में इस सीट से लड़ने के लिए हाथ पांव मारने शुरू कर दिए हैं। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि बृजमोहन अग्रवाल के गढ़ को भेद पाने की कूबत किसी भी कांग्रेसी नेता में नहीं है। वैसे यहां कांग्रेस समर्थकों में चर्चा है कि प्रमोद दुबे, कन्हैया अग्रवाल सहित कई दावेदार है।
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