Untold Story : वामपंथी उग्रवाद पर ‘अमित शाह’ की आक्रामक रणनीति!… छत्तीसगढ़ से भी हो रहा सफाया
By : madhukar dubey, Last Updated : February 23, 2024 | 8:09 pm
छत्तीसगढ़। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Union Home and Cooperation Minister Amit Shah) ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने वामपंथी उग्रवाद पर नकेल कसने (Crack down on left wing extremism) के लिए एक आक्रामक रणनीति अपनाई है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह की आक्रमक रणनीति के चलते अब छत्तीसगढ़ में भी वामपंथी उग्रवाद सफाये की ओर बढ़ रहा है। कांग्रेस की पूर्ववर्ती में ये हालात नियंत्रण से बाहर हो गए थे। यही कारण भी रहा कि यहां नक्सलियों ने केंद्र की आक्रामक नीतियों के चलते बीजेपी नेताओं की टारगेट किलिंग कर रहे थे। लेकिन सरकार बदलने के बाद विष्णुदेव की सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की निगहबानी में कारगर कदम उठा रही है।
अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ के टॉप नक्सली हिड़मा के हेडक्वार्टर पर फोर्स ने कब्जा कर लिया। और पहली बार उस गांव में तिरंगा फहराया गया। इससे वामपंथी उग्रवाद के मिशन को एक बड़ा झटका लगा है। आगे और भी कड़ी कार्रवाई नक्सलियों के खिलाफ होगी।
- X प्लेटफॉर्म पर पोस्ट्स की श्रृंखला में अमित शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद पर मोदी सरकार के कड़े प्रहार के परिणामस्वरूप आज ये समस्या खत्म होने की कगार पर है। उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद-प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से मोदी सरकार ने यहां के गरीबों के दिलों को जीता है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी जी की विज़नरी नीतियों के कारण आज वामपंथी उग्रवाद अपना आधार खो चुका है। शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने वामपंथी उग्रवाद-प्रभावित क्षेत्रों में विकास और सुरक्षा के प्रति होलिस्टिक अप्रोच अपनाते हुए वामपंथी उग्रवाद पर करारा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सर्वांगीण विकास के लिए राज्य सरकारों को साथ लेकर चलते हुए लोगों का विश्वास जीता है।
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2004-14 के मुकाबले 2014-23 के दशक में वामपंथी उग्रवाद-संबंधित हिंसा में 52 प्रतिशत और मृतकों की संख्या 6035 से 69 प्रतिशत कम होकर 1868 हो गई है। इसी प्रकार वामपंथी उग्रवाद की घटनाएं 14,862 से कम होकर 7,128 रह गई हैं। वामपंथी उग्रवाद के कारण सुरक्षाबलों की मृत्यु की संख्या 2004-14 में 1750 से 72 प्रतिशत घटकर 2014-23 के दौरान 485 हो गई है और नागरिकों की मृत्यु की संख्या 68 प्रतिशत घटकर 4285 से 1383 रह गई है। इसी प्रकार, हिंसा वाले ज़िलों की संख्या 2010 में 96 थी, जो 2022 में 53 प्रतिशत घटकर 45 रह गई। इसके साथ-साथ हिंसा रिपोर्ट करने वाले पुलिस स्टेशनों की संख्या 2010 में 465 से घटकर 2022 में 176 रह गई।
आइए इस ग्राफिक से समझें केंद्र की मोदी सरकार के नेतृत्व में अमित शाह की आक्रामक रणनीति
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