बांग्लादेश में सियासी संग्राम: यूनुस पर सत्ता मोह के आरोप, सेना से खुली तकरार

By : hashtagu, Last Updated : May 24, 2025 | 11:39 am

ढाका, 24 मई 2025: बांग्लादेश (Bangladesh) एक बार फिर गंभीर राजनीतिक अस्थिरता के मुहाने पर खड़ा दिखाई दे रहा है। अंतरिम सरकार के मुखिया और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की कुर्सी एक बार फिर डगमगाती नज़र आ रही है। यूनुस और बांग्लादेश सेना के बीच तनाव अब सतह पर आ गया है, और कई राजनीतिक विश्लेषक इसे ‘मुनीर 2.0’ की संभावित भूमिका के तौर पर देख रहे हैं, जैसा पाकिस्तान में आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर के बढ़ते वर्चस्व के संदर्भ में देखा गया था।

21 मई को बांग्लादेश के सेनाध्यक्ष जनरल वकार-उज-जमान ने ढाका छावनी में सेना अधिकारियों को संबोधित करते हुए देश की राजनीति को गर्मा दिया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि देश में दिसंबर 2025 तक हर हाल में आम चुनाव कराए जाने चाहिए और केवल एक निर्वाचित सरकार ही बांग्लादेश के भविष्य का निर्धारण कर सकती है। यह बयान यूनुस सरकार के लिए खुली चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब अंतरिम सरकार और सेना के बीच ‘रखाइन कॉरिडोर’ जैसे संवेदनशील मुद्दों को लेकर मतभेद लगातार गहराते जा रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, बढ़ते दबाव के बीच यूनुस ने अपने पद से इस्तीफा देने पर विचार किया है। गुरुवार शाम जमुना स्टेट गेस्ट हाउस में हुई एक बंद कमरे की बैठक में यूनुस ने अपनी निराशा जाहिर करते हुए कहा कि उनका अब पद पर बने रहने का कोई इरादा नहीं है।

सेना और अंतरिम सरकार के बीच जारी खींचतान की एक और अहम वजह ‘रखाइन मानवीय कॉरिडोर’ है, जिसे यूनुस सरकार म्यांमार सीमा पर बनाना चाहती है। सेनाध्यक्ष जमान ने इसे राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरनाक बताते हुए साफ कह दिया कि सेना इस तरह की किसी भी योजना को समर्थन नहीं देगी, जिसकी जानकारी उसे नहीं दी गई हो।

सेना प्रमुख ने इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि सरकार ने न्यू मूरिंग कंटेनर टर्मिनल (NCT) को विदेशी नियंत्रण में देने जैसे संभावित फैसले से पहले सेना से कोई चर्चा नहीं की। उनका कहना है कि इस तरह के निर्णय केवल एक राजनीतिक और निर्वाचित सरकार द्वारा लिए जाने चाहिए।

हालांकि, यूनुस सरकार ने सेना से किसी भी टकराव से इनकार किया है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दिसंबर तक आम चुनाव नहीं कराए जाते, तो सेना हस्तक्षेप कर सकती है — चाहे वह तख्तापलट हो या जनरल जमान का नियंत्रण बढ़ने का संकेत।

अगस्त 2024 में हुए छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना की सत्ता से विदाई हुई थी और तब से यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार शासन संभाल रही है। लेकिन अब यूनुस पर आरोप लगने लगे हैं कि वे सत्ता में बने रहने के लिए चुनाव में देरी कर रहे हैं। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने भी चुनाव टालने के प्रयासों का विरोध किया है और यूनुस पर विपक्षी दलों के खिलाफ पक्षपात का आरोप लगाया है।

यूनुस ने निजी तौर पर कहा है कि वे वर्तमान हालात में चुनाव कराना ठीक नहीं समझते क्योंकि इससे एकतरफा परिणाम सामने आ सकते हैं और राजनीतिक असंतुलन और गहराएगा। लेकिन सेना के तेवरों और सार्वजनिक बयानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जनरल जमान के लिए अब देरी अस्वीकार्य है।

बांग्लादेश आज एक ऐसे मोड़ पर है जहां सत्ता, सैन्य ताकत और लोकतंत्र तीनों आमने-सामने खड़े हैं। आने वाले कुछ दिन इस बात के गवाह बन सकते हैं कि बांग्लादेश एक और सैन्य प्रभाव वाले शासन की ओर बढ़ता है या लोकतांत्रिक रास्ते पर आगे चलता है।