छत्तीसगढ़ में पायलट का वार: “सरकार ने किसानों को भगवान भरोसे छोड़ा”

By : dineshakula, Last Updated : June 24, 2025 | 2:20 pm

रायपुर (छत्तीसगढ़)। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने रायपुर दौरे के दौरान भारतीय जनता पार्टी की साय सरकार पर तीखा हमला बोला। मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए पायलट ने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है। जनता का भरोसा खो चुकी इस सरकार के पास कोई ऐसी उपलब्धि नहीं है, जिसे वो गिना सके। यही वजह है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को बार-बार बुलाकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे प्रदेश में खाद की भारी कमी है और किसान पूरी तरह से उपेक्षित हैं। डबल इंजन की सरकार सिर्फ नाम की है, जमीनी स्तर पर किसानों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। प्रदेश भर में अपराध की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं – लूट, रेप, डकैती, फिरौती और फायरिंग के मामले आम होते जा रहे हैं। साथ ही कांग्रेस नेताओं को टारगेट किया जा रहा है।

पायलट ने बताया कि भाजपा सरकार ने डेढ़ साल में कांग्रेस सरकार की 17 जनहित योजनाओं को बंद कर दिया, सिर्फ इसलिए क्योंकि उनका श्रेय पिछली सरकार को जाता। उन्होंने कहा कि पुलिस और जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर कांग्रेस नेताओं को बदनाम करने और झूठे केस में फंसाने का काम हो रहा है।

सचिन पायलट ने यह भी बताया कि 7 जुलाई को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का छत्तीसगढ़ दौरा तय है। वे रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में सुबह 11 बजे ‘किसान, जवान, संविधान जनसभा’ को संबोधित करेंगे। उन्होंने कहा, “हमें जनता की आवाज़ बनना होगा और इसके लिए सड़क पर उतरना पड़ेगा।”

सोमवार को पायलट ने राजीव भवन में कांग्रेस नेताओं के साथ लंबी बैठकें कीं। पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की मीटिंग के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अनुशासनहीनता को लेकर नाराजगी जाहिर की। बघेल ने चरणदास महंत से यह भी पूछा कि वे सरकार के खिलाफ मुखर क्यों नहीं होते।

मीटिंग में सीनियर नेताओं ने शिकायत की कि उन्हें पार्टी में जिम्मेदारियां नहीं दी जा रही हैं, जबकि उनके अनुभवों का लाभ उठाया जाना चाहिए। भूपेश बघेल ने चिंता जताई कि नेता सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर टिप्पणी करते हैं लेकिन कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं होती।

सचिन पायलट ने अंत में कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार दिल्ली से संचालित हो रही है। जनता ने जिन जनप्रतिनिधियों को चुना, उनके पास कोई शक्ति नहीं है। विपक्ष की आवाज़ को दबाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं और विधानसभा सत्र तक से बचा जा रहा है, ताकि सरकार को जवाब न देना पड़े।