शशि थरूर पर पहली बार बोला कांग्रेस नेतृत्व, खरगे ने तोड़ी चुप्पी– पार्टी में आगे क्या होगा?
By : dineshakula, Last Updated : June 25, 2025 | 10:48 pm
Shashi Tharoor Episode: शशि थरूर का भविष्य कांग्रेस में क्या होगा? यह सवाल अब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच चुका है। पहले तक थरूर पर टिप्पणी करने का काम प्रवक्ता और पार्टी के निचले स्तर के नेता कर रहे थे, लेकिन अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को इस पर सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया देनी पड़ी है। जब उनसे थरूर के बयानों को लेकर कई बार सवाल किए गए, तो उन्होंने कहा, “थरूर की इंग्लिश बहुत अच्छी है, पढ़ने में दिक्कत होती है, इसलिए उन्हें कार्यसमिति का सदस्य बनाया है।”
थरूर के सरकार की तारीफ करने से जुड़े सवाल पर खरगे ने कहा, “हमने पहले ही कहा था कि देश का मामला है तो हम सेना और सरकार के साथ हैं।” जब उनसे पूछा गया कि थरूर लगातार सरकार की तारीफ में लिख रहे हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, “जिसे जो लिखना आता है, वो लिखेगा, हम उसमें दिमाग क्यों लगाएंगे? हमें डरने की जरूरत नहीं है, वो अपनी मर्जी से बोल रहे हैं। मेरे लिए देशहित सबसे ऊपर है और हम उसी अनुसार काम कर रहे हैं।”
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस थरूर पर किसी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करने जा रही है। पार्टी को अच्छी तरह मालूम है कि थरूर जैसी शख्सियत पर दबाव डालना उल्टा असर डाल सकता है। उनकी लोकसभा सदस्यता पर कोई खतरा नहीं है और अगर उन पर कार्रवाई होती है, तो वे खुलकर पार्टी के खिलाफ बोल सकते हैं।
केरल के नीलांबुर उपचुनाव के नतीजों ने कांग्रेस को राहत दी है। यह सीट कांग्रेस ने सीपीएम से छीनी है, और विशेष बात यह रही कि इस सीट पर थरूर ने प्रचार नहीं किया था। यानी कांग्रेस बिना उनकी मदद के भी जीतने में सफल रही है। कांग्रेस यह भी जानती है कि देश-विदेश में भले ही थरूर की छवि मजबूत हो, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में राजीव चंद्रशेखर से वे मुश्किल से 17 हजार वोटों से जीत पाए थे।
थरूर की कांग्रेस में सबसे बड़ी दिक्कत मानी जाती है केसी वेणुगोपाल, जो पार्टी के संगठन महासचिव हैं और राहुल गांधी के बेहद करीबी हैं। जब संवाददाता सम्मेलन में खरगे से थरूर को लेकर सवाल पूछे जा रहे थे, वेणुगोपाल वहीं पास में बैठे थे। पार्टी को यह भी अंदेशा है कि केंद्र सरकार आने वाले समय में थरूर को विदेश मामलों से जुड़े कुछ गैर राजनीतिक काम सौंप सकती है, जिससे वह सक्रिय राजनीति से कुछ दूर हो सकते हैं।
फिलहाल, कांग्रेस नीलांबुर उपचुनाव की जीत से उत्साहित है और उसका ध्यान अब इस साल होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव और अगले साल के विधानसभा चुनाव पर है।



