शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट सख्त: दिसंबर तक जांच पूरी करें – ED और EOW को निर्देश
By : dineshakula, Last Updated : October 9, 2025 | 11:31 am
रायपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले (Liquir Scam) की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को कड़ा अल्टीमेटम दिया है। कोर्ट ने दोनों एजेंसियों को आदेश दिया है कि वे दिसंबर 2025 के आखिरी सप्ताह तक जांच पूरी करें और फाइनल रिपोर्ट पेश करें। यह आदेश सितंबर के आखिरी सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में इस घोटाले से जुड़ी 13 याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी, जिन्हें न्यायमूर्ति एम.एम. सुन्दरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने खारिज कर दिया था। इन याचिकाओं में छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में दर्ज FIR, ECIR और कई जमानत याचिकाएं शामिल थीं, जिनमें IAS अधिकारी अनिल टुटेजा की याचिका भी थी। कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज करते हुए जांच एजेंसियों को 3 महीने के अंदर जांच पूरी कर पूरक आरोपपत्र दाखिल करने का आदेश दिया।
शराब घोटाले में अब तक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल समेत 10 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। EOW ने जानकारी दी कि विदेशी शराब पर सिंडिकेट द्वारा लिए गए कमीशन की जांच की जा रही है। गिरफ्तार किए गए लोगों में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, अरुणपति त्रिपाठी, अरविंद सिंह, अनवर ढेबर, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह, दीपक दुआरी, दिलीप टुटेजा और सुनील दत्त शामिल हैं।
ED की जांच के अनुसार यह घोटाला 3000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का है। एजेंसी का दावा है कि यह पूरा रैकेट भूपेश सरकार के समय चला और इसमें IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर की अहम भूमिका रही। अनवर ढेबर को इस घोटाले से 90 करोड़ रुपये से ज्यादा मिले, जिसे उसने अपने रिश्तेदारों और चार्टर्ड अकाउंटेंट के नाम पर बनी कंपनियों में निवेश किया।
EOW की जांच में सामने आया कि शराब डिस्टलर्स से मिलने वाले कमीशन और ‘बी पार्ट’ की शराब बिक्री से होने वाली कमाई का 15 प्रतिशत हिस्सा अनवर ढेबर को मिलता था। इस पैसे की वसूली का काम विकास अग्रवाल और सुब्बू नाम के दो लोगों के जरिए किया जाता था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ED और EOW ने जांच की रफ्तार बढ़ा दी है। फिलहाल आबकारी विभाग के 30 अधिकारियों से पूछताछ जारी है, जिनमें 7 रिटायर्ड अधिकारी भी शामिल हैं। ED के वकील सौरभ पांडे ने बताया कि इस मामले की जांच दो साल से चल रही है और अब इसे अंजाम तक पहुंचाना जरूरी है। एजेंसी समय सीमा के भीतर अपनी अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी।


