छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ रेडियो बना मजबूत हथियार, दूरदराज गांवों तक पहुंची सही जानकारी

अधिकारियों का कहना है कि रेडियो सिर्फ सूचना का माध्यम नहीं, बल्कि प्रशासन और ग्रामीणों के बीच विश्वास बनाने का जरिया भी बन रहा है।

  • Written By:
  • Publish Date - December 31, 2025 / 10:23 AM IST

बस्तर/बीजापुर:  छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में रेडियो (radio) नक्सलवाद (naxalites) के खिलाफ एक प्रभावी माध्यम के रूप में सामने आया है। बस्तर और बीजापुर जैसे दूरदराज जिलों में जहां मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की पहुंच सीमित है, वहां रेडियो लोगों के लिए भरोसेमंद सूचना का जरिया बन रहा है। स्थानीय भाषा और बोलियों में प्रसारित कार्यक्रमों के जरिए ग्रामीणों तक सरकार की योजनाओं, विकास कार्यों, शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा से जुड़ी जानकारी पहुंचाई जा रही है।

सुरक्षा बलों और प्रशासन की पहल पर सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत ग्रामीणों को रेडियो सेट उपलब्ध कराए गए हैं। इन रेडियो कार्यक्रमों के माध्यम से खेती-किसानी, मौसम की जानकारी, सरकारी योजनाओं, भर्ती से जुड़ी सूचनाएं और सामाजिक संदेश प्रसारित किए जा रहे हैं। इससे नक्सल संगठनों द्वारा फैलाए जाने वाले भ्रामक प्रचार का असर कम हो रहा है।

अधिकारियों का कहना है कि रेडियो सिर्फ सूचना का माध्यम नहीं, बल्कि प्रशासन और ग्रामीणों के बीच विश्वास बनाने का जरिया भी बन रहा है। लोकगीत, स्थानीय खबरें और सामाजिक मुद्दों पर आधारित कार्यक्रमों से लोगों की भागीदारी बढ़ी है और उनमें जागरूकता आई है।

सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि लगातार सही और सकारात्मक जानकारी मिलने से ग्रामीणों की सोच में बदलाव आ रहा है और नक्सल विचारधारा के खिलाफ माहौल बन रहा है। रेडियो की यह पहल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास और शांति की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।