कोई तो बचा ले मेरे कलेजे के टुकड़े को, पढि़ए एक दम्पति की मार्मिक दास्तां

By : madhukar dubey, Last Updated : November 14, 2022 | 8:19 pm

छत्तीसगढ़। कहते हैं कि बेटा हो बेटी दोनों ही किसी मां-बाप के लिए कलेजे के टुकड़े से कम नहीं। यह कहानी रायपुर एम्स के गेट नंबर 1 के पास फुटपाथ पर गुजर बसर कर रहे एक परिवार की, जो वहीं पिता बालक दास दुकान भी लगाते हैं। वे बताते हैं कि उनके 13 माह के बच्चे के गले में छेद है। इसके इलाज कराने के लिए उसने सब कुछ बेच डाला। कवर्धा निवासी बालक दास का कवर्धा जिले के ठकुराइन टोला गांव में घर और खेत था, जिसे वह बेच चुके हैं। अब बच्चे की जान बचाने के लिए पति-पत्नी संघर्ष कर रहे हैं। इनके संघर्ष को देखकर सभी हैरत में हैं। यहां बच्चे की मां एक फुट पंप से बच्चे को सांस दे रही है। क्योंकि ब्रेन ट्यूमर और कैंसर के चलते बच्चा अब सांस नहीं ले पा रहा है। फुट पंप से फुटपाथ पर मां बच्चे के गले से कफ साफ करती है और बेटे को सांस देती है, ताकि वह कुछ दिन और जिंदा रह सके।

सुनिए पिता की जुबानी, बोला 5 माह से फुटपाथ पर बीता रहे जिंदगी

किसी तरह बच्चे की इलाज कराने के लिए वह 5 माह से फुटपाथ पर जिंदगी बीता रहे हैं। इसके लिए वे वहीं पर एक ठेला पर चाय-पानी की दुकान किए हैं। ताकि बच्चे का इलाज करा सके। सिर्फ हर रोज 100 से 200 रुपए की आमदनी हर रोज हो जाती है। लेकिन इतने में कम पैसे में बच्चे के इलाज में दवा की कीमत ही चुकाने में लग जाते हैं। इसमें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पाती है। भूखे ही सोना पड़ता है।

वरना मेरा बेटा नहीं बच सकेगा, इसलिए कर रहे हैं काम

बालक दास ने कहा कि सारा दिन यहां लोगों के जूठे बर्तन धोकर दो पैसे कमाता हूं । मगर वह सारी कमाई दवा में खर्च हो जाती है, पत्नी फुट पंप से बच्चे को सांस देती है हम यह सब नहीं करेंगे तो शायद हमारा बेटा ना बचे और हमारी सारी मेहनत बर्बाद हो जाए । मगर अब बेटे के लिए ही जी रहे हैं। हर रोज पत्नी अस्पताल के भीतर जाकर कीमोथेरेपी करवाती है ताकि बच्चे को बचाया जा सके, मैं बाहर काम करता हूं।

सामाजिक संस्थाओं से की अपील

बालकदास ने अपील करते हुए कहा कि मेरी कोशिश जारी है यदि सक्षम लोग मदद कर दें तो बेटे की जिंदगी को बचाने में मदद मिलेगी। उनके नंबर 8720045676 पर संपर्क किया जा सकता है।