रायपुर। छत्तीसगढ़ में शराब और DMF घोटाले (DMF Scam) की जांच के तहत ACB-EOW ने रविवार तड़के राज्यभर में करीब 20 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, कोंडागांव और अंबिकापुर में हुई इस बड़ी कार्रवाई में अधिकारियों ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच की।
रायपुर में पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास के घर और अन्य ठिकानों पर दबिश दी गई, जहां टीम आवश्यक दस्तावेजों की पड़ताल कर रही है। शहर में ही कारोबारी और सप्लायर हरपाल अरोरा के निवास पर भी छापा जारी है।
Raipur, Chhattisgarh: The ACB and EOW conducted raids in Raipur. Searches were carried out at the residence of former excise officer Niranjan Das in Rama Green, along with several other locations across the city. pic.twitter.com/LdPZldZiq3
— IANS (@ians_india) November 23, 2025
सरगुजा में EOW-ACB ने पशु चिकित्सक डॉ. तनवीर अहमद और अंबिकापुर के सत्तीपारा निवासी सप्लायर अमित अग्रवाल के ठिकानों पर कार्रवाई की। यहां वित्तीय लेन-देन और विभागीय रिकॉर्ड से जुड़े दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
कोंडागांव में भी टीमों ने कारोबारी कोणार्क जैन के घर और अन्य स्थानों पर छापे मारे। कोणार्क जैन वर्ष 2019-20 के दौरान DMF सप्लाई कार्यों से जुड़े रहे थे। टीम यहां भी लेन-देन और अन्य रिकॉर्ड की पड़ताल कर रही है।
इससे पहले 29 अक्टूबर को भी DMF घोटाले से जुड़े सप्लायरों के 14 ठिकानों पर छापे पड़े थे। रायपुर के पचपेड़ी नाका स्थित वॉलफोर्ट इन्क्लेव में अशोक और अमित कोठारी के घर छापा मारा गया था। इनके व्यवसाय का संबंध कृषि कच्चा माल और खाद्य पदार्थ सप्लाई से है।
राजनांदगांव में भारत माता चौक स्थित राधा कृष्ण एजेंसी, अग्रवाल, नहटा और भंसाली के ठिकानों पर भी कार्रवाई हुई थी। दुर्ग के महावीर नगर में कारोबारी नीलेश पारख के ठिकाने पर जांच हुई, जबकि धमतरी के सिर्री गांव में करीब 5 घंटे की छानबीन के बाद टीम लौटी थी।
सरकारी जानकारी के अनुसार, DMF घोटाले में ED की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120B और 420 के तहत केस दर्ज किया है। जांच में सामने आया कि कोरबा के डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड से जुड़े टेंडरों में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएँ हुईं और कई सप्लायरों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। ED के अनुसार, टेंडर प्रक्रिया में संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलियों मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर के साथ मिलकर अवैध कमाई की गई।