‘CSR फंड’ हड़पने का अरोप!, BJP का हंगामेदार ‘वाॅकआउट’

By : madhukar dubey, Last Updated : March 23, 2023 | 1:15 pm

रायपुर। विधानसभा (Assembly) में आज बजट सत्र शुरू होते ही प्रश्नकाल में विपक्ष ने सीएसआर फंड (CSR fund) का मुद्दा उठाकर सत्ता पक्ष को घेरा। नारायण चंदेल के मुताबिक यहां की जमीन, कोयला, और पानी सब कुछ लूटा जाता है। चंदेल ने सीएसआर का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। इस पर बहस के बाद सत्ता पक्ष के जवाब से असंतुष्ट बीजेपी विधायकों ने वॉकआउट कर दिया।

चंदेल ने पूछा- कोरबा, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा में 2021-22, 2022-23 से लेकर 15 फ़रवरी 2023 तक किन-किन औद्योगिक संस्थानों से कितनी राशि सीएसआर से प्राप्त हुई? राज्य की ज़मीन पर उद्योग लगते हैं? राज्य के संसाधनों का उपयोग होता है लेकिन सीएसआर फंड के उपयोग के लिए कोई नीति नहीं है? मापदंड के अनुरूप कितनी राशि प्राप्त होनी थी और कितनी राशि प्राप्त हुई?

जवाब में मंत्री मो.अकबर बोले- जिन कंपनियों ने सीएसआर फंड के तहत राशि नहीं दी है, उन्हें राशि देनी है, जो कंपनियां देरी करती हैं उन पर कार्रवाई करने का भी नियम है। नारायण चंदेल ने कहा-ओडिशा राज्य ने सीएसआर फंड के उपयोग के लिए स्पष्ट नीति बनाई है, लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसी कोई नीति नहीं है। मंत्री मो.अकबर ने कहा कि- ओड़िसा की नीति मंगाकर अध्ययन कर लिया जायेगा।

बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा- सीएसआर देने के लिए जब कंपनियां बाध्यकारी हैं ऐसी स्थिति में जो कंपनियां सीएसआर जमा नहीं करती हैं उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की ज़िम्मेदारी किसकी है?

मो.अकबर बोले- कंपनी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है। कंपनी के ख़िलाफ़ केंद्र के एक्ट के तहत ही हो सकती है। अजय चंद्राकर ने कहा- राज्य सरकार की क्या भूमिका है?

मो. अकबर ने कहा- राज्य सरकार को सीधी कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। राज्य सरकार कंपनी अधिनियम के पालन करने के लिए कंपनी को कह सकती है, लेकिन कार्रवाई कंपनी अधिनियम के तहत ही होगी।

बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा बोले- केंद्रीय अधिनियम का हवाला देकर राज्य सरकार पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है। सीएसआर के 40 से 50 फ़ीसदी हिस्सा राज्य सरकार लेकर दुरुपयोग करती है, जिन गांवों के विकास के लिए राशि खर्च करने की ज़रूरत होती है, वहां नहीं किया जाता।