रायपुर। गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान संकेत दे गए कि शराबबंदी को पूर्णत: लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा था, कांग्रेस शराबबंदी (Congress Prohibition) के वादे पर सत्ता में आई लेकिन जब शराबबंदी के बजाए शराब घोटाला प्रकाश में आया। और शराबबंदी अब कांग्रेस के ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। बात दें, कांग्रेस सरकार के खिलाफ आरोप पत्र पेश करते हुए शाह ने राज्य सरकार को घेरते हुए शराबबंदी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकाल में आंशिक मद्यनिषेध चरणबद्ध तरीके से शुरू किया गया था। डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में तत्कालीन आबकारी आयुक्त सह सचिव रहे पूर्व आईएएस गणेश शंकर मिश्रा ने इसकी शुरुआत की थी। इस विषय का उल्लेख गृहमंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में सबसे पहले किया।
भाजपा में शामिल हो चुके पूर्व आईएएस गणेशशंकर मिश्रा ने अपने प्रशासनिक काल के दौरान आंशिक मद्यनिषेध की शुरुआत कर दी थी। जून में धरसींवा विधानसभा में मांढर गांव में शराबबंदी पर वादाखिलाफी के विरोध में बीजेपी ने सभा की थी। इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने इकठ्ठा होकर वादाखिलाफी के विरोध में निंदा प्रस्ताव पारित किया। राज्यपाल को भी ये प्रस्ताव दिया गया था। ऐसे में भाजपा इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। यही वजह है कि रायपुर में भाषण की शुरुआत ही गृहमंत्री शाह ने शराबबंदी से की।
लंबे वक्त तक आबकारी विभाग यानी शराब बेचने वाले विभाग के आयुक्त रहे रिटायर्ड आईएएस गणेश शंकर मिश्रा बतौर प्रदेश भाजपा नेता शराबबंदी आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। आबकारी आयुक्त सह सचिव रहते भाजपा ने योजनाबद्ध तरीके से शराबबंदी का काम शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे करीब 400 दुकानों को बंद किया जा चुका था। इसके तहत ‘भारत माता वाहिनी’ नाम का एक अभियान भी शुरू किया। इसमें महिलाएं गांव-गांव में अवैध शराब की बिक्री संबंधी शिकायतों पर खुद काम करती थीं। छोटे-छोटे गांवों में धीरे-धीरे कर शराब दुकानें बंद की जा रही थी। इसे आंशिक शराबबंदी का नाम दिया गया था। धीरे-धीरे इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाता। इसका उल्लेख छत्तीसगढ़ प्रवास पर आए गृहमंत्री शाह ने अपने संबोधन में किया।
यह भी पढ़ें : कर्ज के बोझ तलेे दबा मध्यप्रदेश, भाजपा व कांग्रेस में मुफ़्त घोषणा की होड़