रायपुर, 23 मई 2025 : छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ जंगल में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों को करारा झटका दिया है। 21 मई को शुरू हुए इस ऑपरेशन में डेढ़ करोड़ के इनामी और नक्सली सरगना बसवराजू (Basvaraju) समेत कुल 27 नक्सली मारे गए। माओवादियों की रीढ़ तोड़ देने वाला यह ऑपरेशन कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। आइए 10 बिंदुओं में समझते हैं पूरी मुठभेड़ की कहानी:
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खुफिया इनपुट: 21 मई को सुरक्षाबलों को बसवराजू की मौजूदगी की पक्की सूचना मिली थी। इसके बाद ऑपरेशन की रणनीति बनाई गई।
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चार जिलों से निकले जवान: डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) के जवान चार अलग-अलग जिलों से जंगल में उतरे।
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50 घंटे की भीषण मुठभेड़: सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच 50 घंटे तक लगातार गोलीबारी हुई। हर पेड़-पत्थर मौत की आहट लिए खड़ा था।
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मारा गया बसवराजू: श्रीकाकुलम जिले का निवासी, उम्र करीब 70 साल, बसवराजू नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी का हिस्सा और 2018 से CPI (माओवादी) का महासचिव था।
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हिड़मा का गुरु: माओवादी कमांडर हिड़मा का मेंटर कहे जाने वाला बसवराजू नक्सली रणनीतियों का मास्टरमाइंड था।
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10 करोड़ का इनामी: बसवराजू पर विभिन्न राज्यों द्वारा कुल मिलाकर 10 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम घोषित था — देश का सबसे वांछित नक्सली।
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आधुनिक हथियार बरामद: मुठभेड़ के बाद सर्च ऑपरेशन में AK-47 समेत कई अत्याधुनिक हथियार बरामद हुए।
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कर्रेगुट्टा के बाद दूसरा बड़ा झटका: हिड़मा पहले ही कर्रेगुट्टा ऑपरेशन में पीछे हट चुका था, अब बसवराजू की मौत ने माओवादियों की कमर तोड़ दी है।
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अबूझमाड़ का नेटवर्क ध्वस्त: यह क्षेत्र नक्सलियों की आपूर्ति और पहुंच का अंतिम गढ़ था, जिसे अब छीन लिया गया है।
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संगठन की रीढ़ टूटी: बसवराजू की मौत से CPI (माओवादी) की रणनीतिक और मानसिक ताकत बिखर गई है, संगठन का पुनर्जीवन अब असंभव जैसा लग रहा है।
इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां अब नक्सलवाद के समूल नाश की दिशा में निर्णायक मोड़ पर आ चुकी हैं।
