बस्तर दशहरा की अनोखी परंपरा: फूलों से सजे दो मंजिला रथ की 6 दिन तक होती है भव्य परिक्रमा
By : dineshakula, Last Updated : September 29, 2025 | 4:38 pm
जगदलपुर, बस्तर, छत्तीसगढ़: विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा (Dussehra) देश की सबसे लंबी चलने वाली दशहरा परंपरा है, जो पूरे 75 दिनों तक उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस आयोजन में कई अनूठी और पारंपरिक रस्में निभाई जाती हैं, जिनमें एक अत्यंत आकर्षक और लोकप्रिय रस्म है — फूल रथ परिक्रमा। इस रस्म की शुरुआत नवरात्रि के तीसरे दिन से होती है और लगातार 6 दिनों तक चलती है।
फूल रथ एक विशालकाय, दो मंजिला लकड़ी का रथ होता है, जिसे झार, उमरगांव और बेड़ा उमरगांव के कारीगर बड़ी निपुणता से बनाते हैं। इस रथ को रंग-बिरंगे फूलों और पारंपरिक सजावट से सजाया जाता है। सजावट पूरी होने के बाद रथ पर बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी माता के प्रतीक क्षत्र को विराजमान किया जाता है।
हर शाम करीब 7 बजे दंतेश्वरी मंदिर के मुख्य पुजारी क्षत्र को मंदिर से बाहर लेकर आते हैं। मुंडाबाजा और ढोल-नगाड़ों के बीच श्रद्धालुओं की भारी भीड़ इस यात्रा का हिस्सा बनती है। पहले क्षत्र को मावली मंदिर ले जाया जाता है, फिर कल्कि मंदिर में पूजा-अर्चना होती है और अंत में जगन्नाथ मंदिर के बाद सीढ़ियों से क्षत्र को रथ पर विराजित किया जाता है। रथ को बस्तर पुलिस द्वारा सलामी दी जाती है और फिर भक्तजन उसे नगर की सड़कों पर खींचते हैं।
माड़िया जनजाति के लोग पारंपरिक वेशभूषा में ढोल-नगाड़ों की धुन और लोक गीतों के साथ इस रथ को खींचते हैं। यात्रा के दौरान जगह-जगह पारंपरिक नृत्य और भक्ति भाव की झलक देखने को मिलती है, जिससे यह आयोजन अत्यंत जीवंत और भक्तिमय हो जाता है।
बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार अविनाश प्रसाद का कहना है कि फूल रथ परिक्रमा बस्तर दशहरे की सबसे खास रस्मों में से एक है। यह सिर्फ धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि बस्तर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है।
हर साल हजारों श्रद्धालु और पर्यटक इस अनूठी परंपरा को देखने के लिए जगदलपुर पहुंचते हैं, जहां श्रद्धा, भक्ति और संस्कृति का अनुपम संगम देखने को मिलता है।

