BASTAR STORY : तेंदूपत्ता संग्रहण पर लाल आतंक का साया, ये है पूरा मामला

राज्य में इन दिनों हरा पत्ता कहे जाने वाले तेंदूपत्ता के संग्रहण का कार्य जोरों से चल रहा है। बेमौसम वर्षा होने के कारण इसकी गुणवत्ता पर असर

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  • Updated On - May 16, 2025 / 05:15 PM IST

नक्सल क्षेत्रों में संग्रहण पर लाल साया का आतंक

रायपुर। राज्य में इन दिनों हरा पत्ता कहे जाने वाले तेंदूपत्ता के संग्रहण (Storage of Tendu leaves)का कार्य जोरों से चल रहा है। बेमौसम वर्षा होने के कारण इसकी गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इधर सीमावर्ती राज्य झारखंड ओडिशा, मप्र एवं आंध्रप्रदेश से ज्यादा तेंदूपत्ता का समर्थन मूल्य होने के कारण अंतरराज्यीय तस्करी का खतरा (threat of trafficking)भी मंडरा रहा है। ज्ञात रहे भारत वर्ष का सर्वश्रेष्ठ तेंदूपत्ता बस्तर के दंतेवाड़ा, भानुप्रतापपुर एवं बीजापुर में होता है।

मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में भीषण गर्मी शुरू होते ही तेंदूपत्ता की तोड़ाई का काम शुरू हो जाता है। 16 लाख मानक बोरा के संग्रहण का कार्य 917 सहकारी समितियों के माध्यम से किया जाता है। राज्य में दक्षिण बस्तर में सबसे पहले शुरू हो जाता है। दंतेवाड़ा, बीजापुर, भानुप्रतापपुर, नारायणपुर, जिलों में यह संग्रहण का कार्य चल रहा है।

नक्सलियों की नजर इस कार्य पर होती है। इसीलिए उनको भी ठेकेदार द्वारा उपकृत किया जाता है। पुलिस विभाग के द्वारा इन्हें पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाती है। पहले चरण में दक्षिण बस्तर में तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य होने के बाद इसे गरियाबंद जिले में शुरू किया जाता है। इसके पश्चात कोरबा एवं सरगुजा संगाग के अंतर्गत आने वाले मनेंद्रगढ़ कोरिया और जशपुर जिले में यह कार्य होता है। इन तेंदूपत्ता के संग्रहण के पश्चात इसे गोदाम में सुरक्षित रख दिया जाता है।

बंगाल एवं दक्षिण राज्यों में तेदूपत्ता की जबरदस्त डिमांड

छग की तेदूपत्ता की उच्च गुणवत्ता होने के कारण ओडिशा बंगाल, तमिलनायडु एवं महाराष्ट्र तथा आंध्रप्रदेश में जबर्दस्त डिमांड होती है। तेंदूपत्ता की नीलामी के लिए दिसंबर माह में ही टेंडर जारी कर दिया जाता है। सरकार को इससे करीब एक हजार करोड़ की आय सम्भावित है। सबसे ज्यादा तेंदूपत्ता खरीदने वाले गोंदिया से आते हैं। यहां पर तंबाखू सहित बीड़ी बनाने का काम परंपरागत ढंग से होता है। दक्षिण राज्यों में सुट्टा किया जाता है।

छग का तेंदूपत्ता का सर्वाधिक रेट होने से तस्करी बढ़ी

छग में प्रति मानक बोरा 5 हजार रुपये तय कर दिया गया है जिसके कारण अन्य राज्यों की तुलना में इसका रेट ज्यादा है। प्रदेश से लगे महाराष्ट्र झारखंडे, ओडिशा एवं तमिलनायडु में प्रति मानक बोरा 2 हजार रुपये से लेकर तीन हजार रुपये तक बिक रहा है इसलिए झारखंड से तेंदूपत्ता लाकर छग में बेचा जा रहा है। सरगुजा संभाग के अंतर्गत बलरामपुर, सूरजपुर में इस समय तेंदूपत्ता के संगहण के साथ ही बिचौलिय भी इन्हें उच्च दर में बेच देते हैं। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बीएफओ रेंजर एवं वन सहायकों की ड़्यूटी इसमें लगाई गई है ताकि तस्करी को रोका जा सकें।

बेमौसम वर्षा एवं अंधड़ चलने से तेंदूपत्ता की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। इधर कतिपय अधिकारी तेंदूपत्ता तोड़ाई में लगे श्रमिकों और भुगतानभी उचित समय पर नहीं कर रहे हैं।

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