Bastar Story : नक्सलियों की मांद में ‘घुसकर’ जवानों ने लगवाए मोबाइल टॉवर !

नक्सल प्रभावित सुकमा जिले (Naxal-affected Sukma district) के एक दूर दराज के गांव में पहला मोबाइल फोन टावर (Mobile phone tower) लगाया गया है.

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  • Updated On - March 16, 2025 / 05:10 PM IST

रायपुर। नक्सल प्रभावित सुकमा जिले (Naxal-affected Sukma district) के एक दूर दराज के गांव में पहला मोबाइल फोन टावर (Mobile phone tower) लगाया गया है. बस्तर के अधिकारियों ने रविवार को इस बात की जानकारी दी. अधिकारियों ने कहा कि होली के दिन टेकुलागुडेम गांव में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कैंप के अंदर लगाया गया यह टावर दूरदराज के इलाकों के कई गांवों को सेलुलर कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान करेगा।

नक्सलियों के कोर एरिया में मोबाइल टावर: टेकुलागुडेम सुकमा के उन जगहों में शामिल है जहां पिछले साल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने जनवरी के महीने में बेस कैंप स्थापित किया है। बेस कैंप बनाने का मतलब है नक्सल विरोधी अभियान में तेजी लाना, एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान क्वीक रेस्पांस करना. इन दोनों कामों के लिए इलाके में इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क का होना जरुरी हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए बेस कैंप में मोबाइल नेटवर्क स्थापित किया गया है।

वरिष्ठ अधिकारी, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सुकमा ने कहा कि सीआरपीएफ के टेकुलागुडेम अग्रिम संचालन बेस के अंदर 13 मार्च को एक बीएसएनएल मोबाइल टावर लगाया गया था, जिसका संचालन इसकी 150वीं बटालियन करती है. यह इस क्षेत्र में इस तरह की पहली सुविधा है. यह गांव नक्सल हिंसा प्रभावित सुकमा जिले के अंदरूनी इलाकों में स्थित है और बस्तर क्षेत्र के एक अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित गांव बीजापुर के साथ सीमा साझा करता है।

सीआरपीएफ कैंप: केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के एक और अधिकारी ने बताया कि मोबाइल टावर टेकुलागुडेम और आसपास के तिम्मापुरम, जोनागुडा और पुवर्ती गांवों में ग्रामीणों और सुरक्षा कर्मियों को बेहद जरूरी सेलुलर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

कमांडर हिड़मा का गांव है पुवर्ती: पुवर्ती पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी की पहली बटालियन के मोस्ट वांटेड माओवादी कमांडर हिडमा का गांव है. सीआरपीएफ अधिकारियों के अनुसार, बीएसएनएल के अधिकारियों ने मोबाइल टावर चालू करने के लिए सुकमा जिला मुख्यालय से राज्य की राजधानी रायपुर तक लगभग 600 किलोमीटर का सफर तय किया।

फोर्स ने की गांव वालों के साथ बैठक: फोर्स के अफसर ने बताया कि होली की पूर्व संध्या पर आयोजित एक कार्यक्रम में ग्रामीणों को भी आमंत्रित किया गया. अफसरों ने बताया कि स्थानीय लोगों को सिम कार्ड देने और उसे स्टार्ट करने के लिए 13 मार्च को एक विशेष शिविर आयोजित किया गया. सीआरपीएफ ने जनवरी 2024 में जगरगुंडा पुलिस स्टेशन की सीमा के अंतर्गत टेकुलागुडेम में फारवर्ड बेस की स्थापना की थी. जिस दिन बेस कैंप की स्थापना की गई थी, उसी दिन नक्सलियों ने कई दिशाओं से हमला कर दिया. भीषण मुठभेड़ में सुरक्षाबल के तीन जवान शहीद हो गए थे. माओवादियों के हमले में 15 जवान घायल भी हुए।

वीरता पदक: इस अभियान के लिए सीआरपीएफ के 15 कर्मियों को वीरता पदक के लिए अनुशंसित भी किया गया है, जो बल द्वारा अपने नए बख्तरबंद वाहन – व्हील्ड आर्मर्ड एम्फीबियस प्लेटफॉर्म – को अपने कमांडर सेखोलेन हाओकिप के नेतृत्व में तैनात करने के बाद समाप्त हुआ।

नक्सली वारदातों का गढ़ रहा है टेकलागुडेम: टेकुलागुडेम नक्सली हिंसा का गढ़ रहा है. अधिकारियों के अनुसार, इस फारवर्ड बेस के खुलने से दक्षिण बस्तर के सबसे अधिक हिंसा प्रभावित क्षेत्र में सीआरपीएफ और सुरक्षा के 15 और ऐसे बेस बन गए हैं. अधिकारी ने कहा कि सीआरपीएफ ने पिछले कुछ सालों में छत्तीसगढ़ में तीन दर्जन से अधिक ऐसे बेस बनाए हैं और इस साल करीब 14 और बेस खोलने की योजना है।

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