छत्तीसगढ़। (RSS chief Mohan Bhagwat) आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के पंडितों के जाति बनाने वाले बयान पर आज मुख्यमंत्री (Bhupesh) भूपेश बघेल की त्यौरियां चढ़ीं हुईं थीं। उन्होंने अपने सियासी तरकश से मोहन भागवत पर आलोचना के तीखे तीर छोड़े। वैसे उन्होंने एक साथ कई मुद्दों को अपने निशाने पर लिया। और ताबतोड़ मीडिया के जवाब देते हुए आरक्षण बिल पर राज्यपाल और रमन सिंह पर हमला बोला। अपने बयां-ए-अंदाज से खरीखोटी भी सुनाई।
उन्होंने कहा, मोहन भागवत कहते हैं कि पंडितों ने जाति बनाई। वहीं मोदी जी कहते हैं। क्या हिंदू कोई धर्म नहीं है। कहा अब पंडितों पर बयान आने पर हो हल्ला मचाने वाले वे लोग कहां गए। अब क्याें नहीं मचाते। उस समय तो मेरे पिता जी एफआईआर कराया था, उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। अब क्या हो गया। तथाकथित संगठन चुप क्यों हैं। भूपेश बघेल ने कहा ये लोग जाति तोड़ने वाले हैं। जाति ज्ञाति से बना है, अनेक धर्म गुरू ने अलग-अलग पंथ की शुरूआत की।
भूपेश बघेल ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बयान को लेकर अपने ट्विटर पर लिखा था, उनका स्मृति लोप हो रहा है। 56 था पास हुआ 76 परसेंट .. उसका याद दस्त कमजोर हो रहा है। रमन सिंह वही बात कर रहे है और राजयपाल से वहीं करवा रहे है। भाजपा ही कार्यलय चलाने का काम कर रहे है। कहा कि जब बिल पारित हो रहा था तो वह विधनसभा में विरोध क्यों नहीं किए। इसी पता चलता है की भाजपा आरक्षण विरोधी है। तंज कसते हुए कहा कि अगर उसका पद चले गाया तो सब का चले जाएं, वाले प्रवृति के है।
भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के लिए रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर हेलीपैड पर पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा, राज्यपाल खुद अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रही हैं। जो बिल विधानसभा से पारित हुआ है उसके बारे में सरकार से पूछने का उन्हें कोई अधिकार ही नहीं है। उसी के आधार पर तो हम कोर्ट गए हैं। कोर्ट ने यदि उसको नोटिस दिया है तो उसका जवाब कोर्ट को देना चाहिए, बाहर नहीं। अगर उनको वकील भी लगाना है तो राज्य सरकार से पूछकर ही लगाएंगी ना। क्योंकि सरकार की सलाह से ही राज्यपाल काम करती हैं।
बता दें, सोमवार को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की जस्टिस रजनी दुबे ने सरकार की एक याचिका पर राजभवन को नोटिस जारी किया। इस मामले में एक सामाजिक कार्यकर्ता, एक वकील और राज्य सरकार ने अलग-अलग याचिका दायर क है।
राज्य सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने जिरह किया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को सीधे तौर पर विधेयक को रोकने का कोई अधिकार नहीं है। नोटिस के बाद जवाब देने के लिए राजभवन को एक सप्ताह का समय दिया गया है।