बीजापुर–सुकमा में मिशन 2026 का फाइनल ऑपरेशन, देवजी पर फैसले के बाद हो सकती है ‘नक्सल-मुक्त बस्तर’ की घोषणा

सूत्रों के मुताबिक अबूझमाड़ में लगातार बड़े ऑपरेशनों के बाद नक्सलियों के पास कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं बची है।

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  • Publish Date - November 30, 2025 / 01:04 PM IST

बस्तर: केंद्र और राज्य सरकार बस्तर में मिशन 2026 (Mission 2026) को तेजी से आगे बढ़ा रही है। अबूझमाड़ में नक्सलियों का मजबूत आधार टूटने के बाद सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है और नक्सलियों के ज्यादातर डिवीजन व एरिया कमेटियां लगभग खत्म हो चुकी हैं। हालांकि साउथ डिवीजन में अभी भी 120 से 150 हथियारबंद नक्सली सक्रिय हैं, जिनका बड़ा हिस्सा बीजापुर और इसके सरहदी इलाके में मौजूद है। अब फोर्स का पूरा फोकस इसी क्षेत्र पर रहेगा।

सूत्रों के मुताबिक अबूझमाड़ में लगातार बड़े ऑपरेशनों के बाद नक्सलियों के पास कोई सुरक्षित पनाहगाह नहीं बची है। अब उसी अंदाज में बीजापुर में मिशन 2026 का आखिरी और फाइनल ऑपरेशन लॉन्च किया जाएगा। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि सक्रिय नक्सलियों को सरेंडर का मौका दिया जा रहा है, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो फोर्स अपने तरीके से कार्रवाई करेगी।

देवजी पर बड़ा फैसला, उसके बाद बस्तर नक्सल-मुक्त?
नक्सलियों के ज्यादातर बड़े नेता या तो मारे जा चुके हैं या सरेंडर कर चुके हैं। आंध्रप्रदेश की हालिया मुठभेड़ में नक्सलियों का सबसे बड़ा चेहरा हिड़मा भी मारा गया। अब संगठन में शीर्ष नेता और महासचिव देवजी ही बचा है। उसके सरेंडर या एनकाउंटर को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। सूत्रों के अनुसार, देवजी के सरेंडर या मारे जाने के उसी दिन बस्तर को ‘नक्सल-मुक्त’ घोषित किया जा सकता है। इसे लेकर सरकार और फोर्स के बीच मंथन जारी है।

एमएमसी जोन नक्सल-मुक्ति की ओर
इधर महाराष्ट्र में CPI (माओवादी) के टॉप लीडर अनंत उर्फ विकास नागपुरे उर्फ विनोद राधास्वामी ने 11 साथियों के साथ सरेंडर कर दिया। 25 लाख के इनामी इस नक्सली के समर्पण से एमएमसी जोन (महाराष्ट्र–मध्यप्रदेश–छत्तीसगढ़) का ट्राइएंगल नक्सल-मुक्त घोषित होने की कगार पर पहुंच गया है। सरेंडर के बाद पुलिस को नक्सलियों के शहरी नेटवर्क और कई अहम जानकारियां मिलने की उम्मीद है।

नक्सलियों की टेक्निकल टीम का प्रमुख प्रताप हथियार बनाने में माहिर था, जबकि महिला विंग कमांडर रानू ने मजबूत महिला इकाई खड़ी की थी, जो सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई थी।

ध्यान देने वाली बात यह है कि अनंत ने अपने सरेंडर से 24 घंटे पहले तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखकर कहा था कि वह 1 जनवरी तक सरेंडर करेगा और तब तक ऑपरेशन न चलाया जाए।