बिलासपुर रेल हादसा: साइकोलॉजिकल टेस्ट में फेल होने के बाद भी मेमू ट्रेन चला रहा था लोको पायलट

सूत्रों के मुताबिक CRS जांच में सामने आया कि लोको पायलट विद्यासागर ने पीडीसी ट्रेनिंग के बाद साइकोलॉजिकल टेस्ट फेल किया था।

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  • Publish Date - November 7, 2025 / 04:25 PM IST

बिलासपुर: बिलासपुर (Bilaspur) में 4 नवंबर को हुए मेमू ट्रेन हादसे का बड़ा खुलासा हुआ है। रेलवे जांच में पता चला कि ट्रेन चला रहे लोको पायलट ने साइकोलॉजिकल टेस्ट फेल किया था, फिर भी उसे प्रमोट कर मेमू ट्रेन संचालन की जिम्मेदारी दी गई। इसी लापरवाही की वजह से 11 यात्रियों की मौत हुई और 20 यात्री गंभीर रूप से घायल हुए।

सूत्रों के मुताबिक CRS जांच में सामने आया कि लोको पायलट विद्यासागर ने पीडीसी ट्रेनिंग के बाद साइकोलॉजिकल टेस्ट फेल किया था। रेलवे नियमों के अनुसार, ऐसे पायलट को केवल असिस्टेंट के साथ ही ट्रेन चलाने की अनुमति मिलती है। लेकिन हादसे में नियमों की अनदेखी हुई और पायलट अकेले ट्रेन चला रहा था।

रेलवे अफसरों ने नियमों को नजरअंदाज कर पायलट को मेमू ट्रेन चलाने की अनुमति दी। सामान्य प्रक्रिया के अनुसार, किसी भी लोको पायलट का ब्रीथ एनालाइजर और साइकोलॉजिकल टेस्ट अनिवार्य है। फेल होने पर ट्रेन चलाना असिस्टेंट लोको पायलट के साथ ही संभव होता है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षा बनी रहे।

हादसे के बाद CRS ने 10 से अधिक अधिकारियों से पूछताछ की। ART और ARMV इंचार्ज से राहत कार्य में हुई देरी को लेकर सवाल किए गए। घायल असिस्टेंट लोकोपायलट और गार्ड का बयान अस्पताल में दर्ज किया जाएगा। इस जांच से रेलवे की लापरवाही और सिस्टम की खामियों का खुलासा हुआ है।

बिलासपुर रेल हादसा अब रेलवे सुरक्षा नियमों की समीक्षा और सुधार की आवश्यकता को उजागर करता है।