भूपेश के ‘सियासी ताने’ में फंसी BJP!, पढ़ें, इसके मायने

By : madhukar dubey, Last Updated : February 10, 2023 | 11:47 am

छत्तीसगढ़। (Bhupesh Baghel) मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने BJP को सियासी ताने मारे। फिर क्या था, अब बीजेपी इसकी सफाई बड़े ही सलीके से देने में जुटी है। कारण भी है क्योंकि BJP के जुमले कि धान के बोनस में केंद्र सरकार की 90 फीसद हिस्सेदारी। ऐसे में भूपेश ने भी आंकड़ों की फेहरिस्त से बीजेपी पर सियासी ताने मारे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने ट्विटर एकाउंट पर लिखा। अन्नदाता कर रहा सवाल, क्या जवाब देंगे जुमलेबाज?। इसके मायने हैं कि भाजपा को मुख्यमंत्री घेरने के लिए पूरी तैयारी कर चुके हैं। वैसे भी वे गाहे-बगाहे इस पर वार करने से नहीं चूक रहे हैं।

बता दें, कल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव ने कहा एमएसपी यानी धान के बोनस पर पर बया दिया था। धान खरीदी के पैसे में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी है। कांग्रेस सिर्फ वाहवाही लूटने में लगी है। इनके बयान के पीछे कारण है कि बीजेपी के शीर्ष कमान ने धान और किसान को साधने का टॉस्क दिया गया है। इसके लिए यह कहा गया है कि विधानसभा चुनाव को देखते हुए धान खरीदी और किसानों को मिल रही याेजनाओं में केंद्र की हिस्सेदारी को भी लोगों को बताना है। ताकि भूपेश के न्यूनतम समर्थन मूल्य और किसान के हित में चलाई जा रही योजनाओं से बढ़ रही कांग्रेस की लोकप्रियता के तिलस्म को तोड़ा जा सके।

संयुक्त मोर्चा की बैठक में भूपेश सरकार पर वार करने की बनी रणनीति

हाल ही भाजपा की संयुक्त मोर्चा की बैठक में जब भाजपा नेता भूपेश सरकार पर बरस रहे थे तो इसके बाद उन्हें नसीहत दी गई। भूपेश को हराने के लिए मोदी मंत्र की राह अपनानी होगी। तभी इनसे पार पाया जा सकता है। इसके लिए छत्तीसगढ़ बीजेपी को आक्रामक आंदोलन करने को भी कहा गया है।

बहरहाल, बीते 4 सालों में बीजेपी ने कोई बड़ा आंदोलन तो नहीं कर सकी। इसके पीछे कारण भी था, भूपेश के सरकार में कोई ऐसा मुद्दा भी नहीं मिला, जिसे बीजेपी आंदोलन में जा सके। हां, इतना है कि आरक्षण सहित कुछ-छोटे-मोटे विरोध करती रही है। लेकिन उसे समग्र समाज से जोड़ा भी नहीं जा सकता।

अब बीजेपी के बयानों पर वार करते हुए भूपेश ने सवाल छोड़े तो बीजेपी इनके सियासी ताने में फंसी दिख रही है। बहरहाल, विधानसभा चुनाव में जीत के लिए दोनोंं पार्टियां सियासी तानाबाना बुनने में लगी है। ये आने वाला वक्त ही बताएगा, सता किसके हाथ आती है।