BREAKING: शराब घोटाला केस में पूर्व मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी

ED दफ्तर में जाने से पहले, लखमा ने कहा, "आज मुझे पूछताछ के लिए बुलाया गया था, इसलिए आया हूं। कानून के हिसाब से जो भी होगा, मैं 25 बार भी आऊंगा।" उन्होंने यह भी बताया कि आज उन्हें अपने CA के बिना ही ED दफ्तर जाना पड़ा, क्योंकि उनके CA बाहर थे।

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  • Updated On - January 15, 2025 / 04:48 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले (liquor scam) मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी उस समय हुई जब वे बुधवार को तीसरी बार ED दफ्तर पूछताछ के लिए पहुंचे थे। ED अधिकारियों ने उन्हें पहले भी दो बार लंबी पूछताछ की थी, और अब इस मामले में उनकी गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई है। लखमा को शाम तक कोर्ट में पेश किया जा सकता है।

क्या था लखमा का बयान?

ED दफ्तर में जाने से पहले, लखमा ने कहा, “आज मुझे पूछताछ के लिए बुलाया गया था, इसलिए आया हूं। कानून के हिसाब से जो भी होगा, मैं 25 बार भी आऊंगा।” उन्होंने यह भी बताया कि आज उन्हें अपने CA के बिना ही ED दफ्तर जाना पड़ा, क्योंकि उनके CA बाहर थे।

ED को मिले अहम सबूत

सूत्रों के मुताबिक, लखमा ने शराब घोटाले से जुड़े कई अहम खुलासे किए हैं, जिनमें कांग्रेस सरकार के दौरान चलाए गए शराब के सिस्टम के बारे में जानकारी दी। पूछताछ के दौरान लखमा ने कई बार खुद को अनपढ़ बताते हुए यह भी कहा कि उन्हें दस्तावेजों में क्या लिखा था, यह समझ नहीं आता, जिससे ED अधिकारियों को थोड़ी भ्रम की स्थिति भी बनी।

हालांकि, ED ने इस पूछताछ के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है, लेकिन यह निश्चित माना जा रहा है कि मामले में जल्द ही और गिरफ्तारी हो सकती है।

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला क्या है?

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला 2019 से 2022 के बीच हुआ एक बड़ा घोटाला है, जिसमें 2,161 करोड़ रुपए की अवैध कमाई का खुलासा हुआ। ED ने पाया कि इस घोटाले में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट का हाथ था। आरोप है कि सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब को बेचा गया, जिससे राज्य सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हुआ।

ED ने 28 दिसंबर 2024 को लखमा के घर समेत कई अन्य ठिकानों पर छापा मारा था, जिसमें आपत्तिजनक रिकॉर्ड और डिजिटल डिवाइस बरामद किए गए। इन दस्तावेजों से यह साफ होता है कि लखमा को हर महीने शराब घोटाले से “प्रोसीड ऑफ क्राइम” यानी अपराध से अर्जित आय का कमीशन मिलता था।

ED की जांच और कार्रवाई

ED की ओर से किए गए खुलासे में यह भी कहा गया कि लखमा के खिलाफ कार्रवाई के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए हैं, जिनमें से कुछ में आपत्तिजनक रिकॉर्ड मिल सकते हैं।

शराब घोटाले के बारे में जो तथ्य सामने आए हैं, उनसे यह साफ है कि अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा जैसे लोगों का सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में सरकारी शराब की दुकानों के जरिए अवैध कमाई कर रहा था। अवैध शराब की बिक्री और कमीशन के माध्यम से करोड़ों का गबन किया गया, जिससे राज्य सरकार को भारी नुकसान हुआ।

क्या है घोटाले का वित्तीय नुकसान?

इस घोटाले का कुल वित्तीय नुकसान 2161 करोड़ रुपए बताया जा रहा है। ED के अनुसार, यह घोटाला तीन हिस्सों में बंटा था:

  • भाग-ए (कमीशन): शराब डिस्टिलर्स से रिश्वत लेकर राज्य निकायों से शराब खरीदी जाती थी।
  • भाग-बी (कच्ची शराब की बिक्री): बेहिसाब कच्ची शराब बेची गई, जिससे सरकारी खजाने को कोई फायदा नहीं हुआ।
  • भाग-सी (कमीशन): शराब बनाने वालों से कार्टेल बनवाने और बाजार में हिस्सेदारी दिलाने के लिए रिश्वत ली जाती थी।

कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद, इस मामले में आगे की कार्रवाई को लेकर ED की जांच तेजी से चल रही है।