सुकमा : 77 हत्या और IED लगाने का मास्टर माइंड महेश को जवानों ने मार गिराया

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सुरक्षाबल के जवानों ने नक्सलियों के एक बड़े कमांडर महेश कोरसा को मार गिराया (killed mahesh korsa) . बताते हैं कि

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  • Updated On - January 15, 2025 / 01:46 PM IST

सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा (Sukma of Chhattisgarh) जिले में सुरक्षाबल के जवानों ने नक्सलियों के एक बड़े कमांडर महेश कोरसा को मार गिराया (killed mahesh korsa) . बताते हैं कि महेश आईईडी प्लांट करने में माहिर था. वो नक्सलियों के लिए शातिर तरीके से आईईडी लगाया करता था. उसके लगाए आईईडी ने कई जवानों की जान ली है. 8 जनवरी को हुए एक बड़े ऑपरेशन में मुठभेड़ के बाद जवानों ने इस नक्सली को ढेर कर दिया. महेश को खुंखार नक्सली कमांड माना जाता था. छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में उसने बड़ी वारदातों को अंजाम दिया था. जवानों ने उसे कई बार पकड़ने की कोशिश की थी, लेकिन वो चालाकी से भाग निकलता था.

पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक महेश कोरसा 2017 में 25, 2020 में 17 और 2021 में 22 सुरक्षाबल के जवानों की मौत का जिम्मेदार था. जवानों को इस नक्सली कमांडर की मौजूदगी की सूचना मिली थी. फिर ऑपरेशन शुरू किया गया था.

जवानों से हुई थी मुठभेड़

सुकमा पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक जवानों को नक्सली कमांडर महेश की मौजूदगी का इनपुट मिला था. फिर 8 जनवरी को जिला रिजर्व गार्ड (DRG), स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और कोबरा बटालियन की संयुक्त टीम ऑपरेशन के लिए निकली थी. फिर 9 जनवरी को पालीगुडा और गुडेम गांव के बीच जंगल में जवानों के साथ नक्सलियों की मुठभेड़ हुई. इसी दौरान महेश मारा गिराया.

कौन था महेश कोरसा

जानकारी के मुताबिक महेश कोरसा नक्सलियों के पीएलजीए का डिप्टी कमांडर था. वो नक्सलियों के सबसे खतरनाक टीम का हिस्सा था. महेश का नाम पहली बार 2015 में चिंतागुफा पुलिस स्टेशन में हुई मुठभेड़ के दौरान सामने आया था. इसमें एसटीएफ के 7 जवान मारे गए थे. फिर 2017 में बुरकापाल इलाके में हमला हुआ था, जिसमें सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए थे. 2020 में फिर बुरकापाल में मुठभेड़ हुई थी. इसमें 17 जवानों की जान चली गई थी. 2021 में सुकमा के टेकलगुडेम में हुए एनकाउंटर में भी महेश कोरसा का नाम सामने आया था. इसमें 22 जवानों की शहाद हुई थी.

पत्नी भी है नक्सली

2010 में महेश कोरसा नक्सली संगठन में शामिल हुआ था. 2017 में उसे आईईडी प्लांट करने की ट्रेनिंग मिली थी. उसने बस्तर के कई इलाकों में आईईडी लगाया. इतना ही नहीं उसने दूसरे नक्सलियों को भी ट्रेनिंग दी थी. बताते हैं कि महेश की पत्नी भी नक्सली कैडर में शामिल है और डॉक्टर के तौर पर काम करती है. महेश कई बड़ी नक्सली वारदात में शामिल रहा है. उसका मारा जाना जवानों के लिए एक बड़ी सफलता है.