Cause-Solution Politics Mega Story : ‘कमल-पंजे की लड़ाई’ में मोदी की निकल पड़ी ‘400’ पार…’छत्तीसगढ़’ में भी क्लीन !

लोकसभा चुनाव की सियासी जंग छिड़ चुकी है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के रणनीतिकार चुनावी चक्रव्यूह की रचना करने में जुटे हैं।

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  • Updated On - March 8, 2024 / 10:12 PM IST

छत्तीसगढ़। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) की सियासी जंग छिड़ चुकी है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के रणनीतिकार चुनावी चक्रव्यूह की रचना करने में जुटे हैं। लेकिन इसमें बीजेपी अपनी प्रतिद्वंदी पार्टी से काफी आगे निकल चुकी है। इसके कई कारण है, पहला की बीजेपी ने कांग्रेस से पहले विधानसभा चुनाव की तर्ज पर लोकसभा की 11 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इसके साथ ही बीजेपी ने हर एक लोकसभा की सर्वे रिपोर्ट और तगड़ी चुनावी रणनीति में अव्वल है। तीसरे कारण में हैं मोदी की गारंटी को पूरा करने में बीजेपी के विष्णुदेव सरकार की तेज गति। इससे छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की जनता में मोदी की गारंटी पर एक सौ एक फीसद भरोसा पैदा हो चुका है। चौथा कारण है कि मोदी की गारंटी से ज्यादा देने की बीजेपी सरकार का प्रयास। ऐसे में बीजेपी के सियासी महारथियों को यह पूरी छूट है कि समाज के सभी वर्गों को किस चीज की कितनी जरुरत है। इस पर बीजेपी के साथ विहिप की संयुक्त जमीन स्तर पर लोगों के रुझान और आवश्यकताओं की टोह लेने की सियासी तकनीक, जो यह दर्शाती है कि बीजेपी की सरकार आने के बाद किसी भी काम करने वाले संगठन और समुदाय की उन परेशानियों को समझना जो कांग्रेस की तत्कालीन सरकार के दौरान था। उन्हें कैसे सुलझाया जा सकता है। मोदी की गारंटी से ज्यादा देने की सोच के आगे बढ़ रही विष्णुदेव सरकार लोगों के दिलोदिमाग में छा गई है। साथ ही एक बड़ा वर्ग सनातनी है, क्योंकि सनातन संस्कृति को मानने वाले की कोई जाति नहीं होती। इसमें अगड़ी के साथ-साथ पिछड़े वर्ग ही नहीं हर वर्ग का समुदाय शामिल हैं, जो बीजेपी के साथ है। अगर ये कहा जाए कि बीजेपी नहीं पूरे देश में मोदी की गारंटी बनाम कांग्रेस और इंडी गठबंधन ही चुनाव लड़ रहा है। जिसमें मोदी की गारंटी की लहर को विपक्ष भी भांप चुका है। यही वजह भी रहा है कि बिहार में नीतिश कुमार ने बीजेपी के साथ सरकार बनाकर एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए। इसके अलावा और कितने सियासी दिग्गजों के नाम शामिल है, जो बीजेपी में शामिल हुए हैं।

  • राजनीतिक जानकार बताते हैंं लोकसभा चुनाव से पूर्व बीजेपी में देश के सभी राज्यों में सियासी महारथी इंट्री ले रहे हैं। ऐसे में जाहिर है कि बीजेपी 400 पार सीटें ला सकती है। यही वजह भी है कि एक नए भारत के युग प्रर्वतक के रुप में स्थापित हो चुके पीएम मोदी दावा कर रहे हैं। इससे लगभग सभी विपक्षी पार्टियां घबरा गई हैं। छोटे-छोटे क्षेत्रीय पार्टियां सोशल इंजीनियरिंग में लगी हैं। ताकि मोदी के 400 पार सीट के दावे को रोका जा सके। क्योंकि विपक्षी पार्टियों को इस बात अंदाजा तो हो गया कि हर हाल में मोदी की सरकार सियासी हैट्रिक लगाएगी। फिर भी इंडी गंठबधन के बैनर तले कम से कम बीजेपी के 400 सीट पार के दावे को रोक सकें। भले की बीजेपी की सरकार केंद्र बने लेकिन आने वाले पांच साल बाद कम से कम यह कहने का मौका भी हाथ लगेगा कि मोदी के 400 पार सीटें आने से रोक दिया। फिर लोकसभा 2029 के चुनाव में बीजेपी को मोदी के दावे पर घेरा जाए। राजनीति जानकार के मुताबिक विपक्ष को पता है कि मोदी की तीसरी बार सरकार बनने जा रही है। लेकिन अगर 400 पार लोकसभा की सीटें एनडीए गठबंधन की आ गई तो मोदी के चौथे बार पीएम बनने से भी कोई नहीं रोक पाएगा। हो सकता है कि रानीतिक स्मीकरण 2029 के चुनाव में कुछ अलग हो। लेकिन इस अंदाज में मोदी की गारंटी में रोजगार और गरीबी को दूर करने की मुहिम जारी रही तो बीजेपी 2024 में हैट्रिक लगाएगी ही साथ में 2029 में भी अपनी विजय का झंडा लहरा देगी।

इसका सबसे बड़ा कारण है मोदी का 2047 तक भारत को विकसित बनाने संकल्प! इसके सियासी मायने

वैसे बीजेपी की सरकार अगर 2047 तक केंद्र में बनती रही तो जाहिर है कि मोदी का संकल्प होने की भी गारंटी है। इसके पीछे भी तर्क है कि विपक्षी पार्टियों का कहना है कि देश में मंहगाई, बेरोजगारी बढ़ी है। देश में लोगों के बीच सौर्हाद खत्म हो गया है। नफरत की राजनीति हो रही है। लेकिन जनता विपक्ष के इन जुमलों से मोदी सरकार के किए जा रहे विकास कार्य के साथ। लोगों की आय बढ़ाने की नीतियां, देश में मूलभूत सुविधाओं में रोटी-कपड़ा और मकान जैसे चीजों की अधोसंरचाना की एक बेहद मजबूत श्रृंखला मोदी की सरकार ने तैयार किया है। यही वजह भी है कि वैश्विक मंदी के बावजूद भारत में इस मंदी का कोई असर नहीं हुआ। साथ ही भारत जीडीपी ग्रोथ भी उत्साहजनक है।

यही वजह कि हाल ही में भारत यूनाइटेड किंगडम को पछाड़कर विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अब संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी की ही अर्थव्यवस्था भारत से बड़ी है। अनिश्चितताओं से युक्त विश्व में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 6-6.5% की वृद्धि करते के साथ ही भारत वर्ष 2029 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिये तैयार है। इस बात को भारत के एक बड़ा वर्ग जो शिक्षित है, उसे पूरा भरोसा है की मोदी की गारंटी कि भारत 2047 तक पूर्ण विकसित हो जाएगा। यहां यह भी जिक्र करना जरूरी है कि आज मंहगाई के साथ-साथ लोगों की आय भी बढ़ी, ऐसे में 10 पूर्व दैनिक चीजों की मंहगाई की बात उठाना भी लोगों को तार्किक नहीं लग रहा है। यही कारण है कि बीजेपी छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुतम की सरकार बनाई। यही वजह है कि बीजेपी अपनी राष्ट्रवादी और विकासवादी छवि बरकरार रखने में लगी है।

यही वजह भी है कि बीजेपी पढ़े लिखे वर्ग और आधुनिक सोच वाले युवा में राष्ट्रभावना के जागरण में जुटी है। जिसमें बीजेपी काफी हद तक कामयाब हो गई है। इसके साथ ही बीजेपी पहली बार वोट देने वाले युवाओं को साधने की कोशिश करती है। जिसे ज्यादा से ज्यादा युवाओं के सांसद विधायक और मंत्री बनाकर संदेश देने की कोशिश की। बीजेपी की राजनीति मोदी-अमित-जेपी नड्डा की दूरदर्शी सोच के साथ अपने मिशन में जुटी है। कांग्रेस जहां हाल के 2024 के चुनाव की रणनीति बनाने में जुटी है।

वहीं बीजेपी 2029 से 2047 तक की चुनावी रणनीति का एक खाका खींच लिया है, जो समय के हिसाब परिवर्तित भी होता रहेगा। लेकिन इसमें खास है कि पार्टी समाज के छोटे से छोटे व्यक्ति को उठाने की प्लानिंग है। वहीं अपनी पार्टी में हर कार्यकर्ता की सक्रियता और ईमानदारी को महत्व देते हुए एक आम कार्यकर्ता को भी विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री बनाने की सोच। जहां बीजेपी की सोच एक प्रोफेशनल तरीका अपनाया है। वहीं परिवारवाद की नींव पर खड़ी राष्ट्रीय और क्षे़त्रिय पार्टीयों के लिए सबसे बड़ी चुनौती हो गई है।

यही वजह भी है कि जातीय राजनीति के सहारे परिवारवाद की पार्टियों ने अपने वजूद बचा रखा। लेकिन अब तो वजूद ही खतरे में हैं। क्योंकि देश का आम आदमी मध्यम वर्ग जिसे सरकारी मदद मिलने से जीवन में आने वाले संकटों से लड़ने के लिए मोदी ने अपनी योजनाओं से एक हथियार दे दिया है। इसके चलते अब लोग मोदी को अपना परिवार समझते हैं।

आशय यह है कि बिहार की एक जनसभा में पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने पीएम मोदी पर परिवारवाद का विरोध करने को लेकर सियासी तंज कस दिया। कह दिया कि नरेंद्र मोदी के पास तो कोई परिवार नहीं है, वे क्या जानें क्या होता है परिवार। फिर क्या था, पीएम मोदी ने उन्हीं के बयान को ऐसा हथियार बनाया और देश में छेड़ा दिया, मैं हूं मोदी का परिवार। इस अभियान की प्रचंड सफलता से अब कांग्रेस ही नहीं पूरा इंडी परिवार सकते हैं। तो ऐसे में राहुल गांधी भी अपने न्याय यात्रा के दौरान कहा, पीएम मोदी लोगों का मुख्य मुद्दों से भटका रहे हैंं। बहरहाल, राहुल गांधी के सामने आने से बयान और सियासी घटनाक्रम से परिवारवाद वाली पार्टियों के खिलाफ एक नैरेटिव क्रिएट हो गया है। जिसे विपक्षी पार्टियों के नेताओं में बौखलाहट साफ तौर पर देखी जा सकती है। चाहे वह सार्वजनिक मंच हो या टीवी का डिबेट शो। इससे जनता में एक संदेश गया कि परिवारवाद की पार्टियां सिर्फ अपने परिवार के लिए काम करती हैं। ऐसे में जाहिर है कहीं मोदी के 400 पार सीट पाने का नारा सच हो जाए।

देश में कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन बनाने में जुटी है!

  • देश में कांग्रेस अपनी खोई हुई सियासी जमीन फिर से बनाने में जुटी है। इसके चलते राहुल गांधी को मोदी के जादू को तोड़ने के लिए न्याय यात्रा, भारत जोड़ो यात्रा करना पड़ा। इस राहुल गांधी न्याय यात्रा चल रही है, जहां वे मोदी पर शब्दों के बाण छोड़ने से बाज नहीं आते। लेकिन उनके बयानों की एक पोटली बनाकर बीजेपी के सियासी पंडित बड़े-बड़े चैनलों के शो डीबेट में बैठ जाते है। जहां फिर बीजेपी प्रवक्ताओं के तीखे जवाब वह भी प्रमाणिकता के साथ। ऐसे में विपक्ष पार्टी के नेताओं के निरूत्तर होने और अनर्गल प्रलाप के कारण मोदी ब्रांड बीजेपी की छाप लोगों के दिलो दिमाग में छा जाताी है। अब तो ये हालात है कि लोगों ने जैसे ये पहले से ही मान लिया है कि 2024 में फिर माेदी सरकार। यही कारण भी है कि अब युवा और कामकाजी लोग राजनीतिक डिबेट सिर्फ एक मनोरंजन के रुप में लेते हैं। इससे लोगों की मानसिकता को नहीं बदला जा सकता है। एक मध्यम वर्ग से आने वाले लोगों चाय पान की दुकानों पर यह कहते दिख जाते हैं कि भाई जब मोदी सब कुछ दे रहा है तो इन्हें क्या परेशानी है। शायद इस लाइन को अगर विजुअल में शूट किया जो तो विपक्ष पार्टियां आत्मसात के बजाए प्रोपोगंडा ही कहेंगी। लेकिन यह एक सच्चाई है, जिस पर विपक्ष को काम करना चाहिए। यह समझने की जरूरत होगी कि उनकी रीतियां और नीतियां जो बीते दशकों में बनी थी, क्या उनकी प्रासंगिकता आज है। जिसे कांग्रेस तो नहीं समझ पाई क्योंकि लेकिन बीजेपी ने इस सियासी व्यवहारिकता को समझा और आज सभी के सामने हैं।

बीजेपी ने विपक्ष की हर आलोचनाओं का जवाब देश और समाज को लोगों की अपेक्षाओं से ज्यादा देने वाली योजनाओं से दे रही है। यही कारण है कि विपक्ष कभी मोदी की जाति तो कभी उनके व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी चीजों को निशाने पर लेना। यह सियासी बयानबाजियां भी विपक्ष के लिए घातक साबित हो रही हैं। जबकि विपक्ष को चाहिए कि जहां सौहार्द की बात हो वहां देश के साथ सभी पार्टियाें को एक साथ होना चाहिए। क्योंकि इससे भाव भरे राजनीति से भारत का विश्व में जाहिर मान सम्मान बढ़ेगा। वैसे पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत विश्व गुरू बनने की राह पर है। ये तो सच है कि लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष होना चाहिए। क्योंकि विपक्ष हमेशा सत्ता पक्ष की चूक को बताता है। अगर उपाय हुआ तो समर्थन करना चाहिए, नहीं हुआ तो आंदोलन। जिसे वाजिब तो माना जा सकता है। लेकिन व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री पर टिप्पणी करना शुचिता भरी राजनीति का हिस्सा नहीं है। इसके चलते मोदी के प्रति लोगोंं में विश्वास बढ़ा है। इसके चलते बीजेपी 400 पार सीटें लोकसभा चुनाव में लाएगी। इसमें अभी तक राजनीतिक माहौल से यही लगता है। वैसे ये तो मतगणना के दिन ही मालूम होगा।

छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव तय करेगा कांग्रेस के बड़े नेताओं का भविष्य, बीजेपी ने सबसे पहले सभी सीटों के उम्मीदवार तय किए

गुरुवार को कांग्रेस की केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई। इसमें छत्तीसगढ़ समेत सभी राज्यों की लोकसभा सीटों पर चर्चा की गई। बैठक के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट ने कहा कि, जो भी जीतने की स्थिति में है उसे पार्टी आदेशित करेगी।

  • शुक्रवार को प्रदेश की सभी 11 सीटों पर मंत्रणा हुई, और 6नाम फाइनल किए गए। पहली सूची में राजनांदगांव सीट से पूर्व सीएम भूपेश बघेल का नाम पहले से तय माना जा रहा था।इसी तरह कोरबा सीट से मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत को फिर प्रत्याशी बनाने पर सहमति बनी है। दुर्ग से राजेन्द्र साहू के नाम पर मुहर लगी। महासमुंद सीट से पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू को चुनाव मैदान में उतारा गया है। इसी तरह जांजगीर-चांपा सीट से पूर्व मंत्री डॉ. शिव डहरिया के नाम पर मुहर लग गई है। जांजगीर- शिव डहिरया, कोरबा-ज्योतस्ना महंत, राजनांदगांव -भूपेश बघेल, रायपुर-विकास उपाध्याय, महासमुंद -ताम्रध्वज साहू, दुर्ग से राजेद्र साहू के नाम घोषित कर दिए है।
  • इसी तरह कोरबा सीट से मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत को फिर प्रत्याशी बनाने पर सहमति बनी है। दुर्ग से राजेन्द्र साहू के नाम पर मुहर लगी। महासमुंद सीट से पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू को चुनाव मैदान में उतारा गया है। इसी तरह जांजगीर-चांपा सीट से पूर्व मंत्री डॉ. शिव डहरिया के नाम पर मुहर लग गई है। जांजगीर- शिव डहिरया, कोरबा-ज्योतस्ना महंत, राजनांदगांव -भूपेश बघेल, रायपुर-विकास उपाध्याय, महासमुंद -ताम्रध्वज साहू, दुर्ग से राजेद्र साहू के नाम घोषित कर दिए है। बाकी बचीं 5 सीटों पर कांग्रेस को काफी सियासी मशक्कत करनी पड़ेगी। इसमें सोशल इंजीनियरिंग भी करने से बाज नहीं आएगी। ये आने वाला वक्त ही बताएगा कांग्रेस कितना करिश्मा मोदी की लहर में कर सकती है।
  • रमन के 15 साल के कार्यकाल के साथ मोदी का मैजिक और विष्णुदेव सरकार काम से बना मजबूत स्मीकरण

  • पूर्व मुख्यमंत्री के डॉक्टर रमन सिंह के 15 साल के विकास कार्यों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में मोदी की लहर चल रही है। वहीं मोदी की गारंटी को पूरा करने में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की लोकप्रियता के चलते बीजेपी के सभी 11 की 11 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है।
  • इधर बीजेपी ने 11 लोकसभा सीट पर रायपुर से बृजमोहन अग्रवाल, दुर्ग से विजय बघेल, सरगुजा से रेणूका सिंह, कोरबा से सरोज पांडेय, बिलासपुर से तोखन साहू, रायगढ़ से राधेश्याम राठिया, महासमुंद से रुपकुमारी चौधरी, जांजगीर चांपा से कमलेश जागड़े, कांकेर महेश्य कश्यप उम्मीदवार बनाए गए है।

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