रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री रविंद्र चौबे (Ravindra Chaubey) ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के जन्मदिन के अवसर पर बड़ा राजनीतिक बयान देते हुए कहा कि राज्य में कांग्रेस का नेतृत्व भूपेश बघेल को ही करना चाहिए। चौबे ने कहा कि आने वाले चुनावों में भाजपा सरकार के कुशासन और “मोदी की गारंटी” के खिलाफ लड़ाई सिर्फ भूपेश बघेल ही लड़ सकते हैं।
चौबे ने कहा, “भूपेश बघेल ही ऐसे नेता हैं, जो मोदी और शाह के खिलाफ खुलकर बोलते हैं। उनके नेतृत्व में ही कांग्रेस ने 2018 में सरकार बनाई थी और आज भी वही जमीनी नेता हैं जो जनता की लड़ाई लड़ रहे हैं।”
इतना ही नहीं, उन्होंने कहा, “ED वाले भी सुन लें, भूपेश बघेल शेर है, डरने वाला नहीं। उन पर और उनके परिवार पर एजेंसियों के जरिए दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन वे झुकने वाले नहीं हैं।”
रविंद्र चौबे के इस बयान पर PCC अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि चौबे वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन यह उनका निजी मत है। बैज ने साफ कहा कि कांग्रेस कलेक्टिव लीडरशिप में विश्वास करती है और पार्टी नेतृत्व ने तय किया है कि जनहित के मुद्दों पर सभी नेता मिलकर काम करेंगे।
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने चौबे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस का जमीन से संपर्क टूट चुका है। कार्यकर्ता और जनता दोनों ही पार्टी से दूर हो चुके हैं। उन्होंने कहा, “अब कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है, यह सिर्फ अपने नेताओं के अस्तित्व की लड़ाई बनकर रह गई है।”
रविंद्र चौबे के इस बयान को लेकर कांग्रेस के अंदरूनी हलकों में हलचल मच गई है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के रहते हुए भूपेश बघेल के नेतृत्व की सार्वजनिक मांग को संगठनात्मक असंतोष का संकेत माना जा रहा है।
कई राजनीतिक विश्लेषक इसे पीसीसी अध्यक्ष बदलाव या वर्तमान नेतृत्व से असहमति के रूप में देख रहे हैं। हालांकि भूपेश बघेल फिलहाल AICC में महासचिव हैं, लेकिन राज्य में उनके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता।