छत्तीसगढ़ पुलिस: रैंकिंग में सुधार, लेकिन अब भी सुधार की गुंजाइश
By : dineshakula, Last Updated : April 16, 2025 | 5:02 pm

रायपुर: इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 ( Justice Report 2025) के अनुसार, पुलिस रैंकिंग में छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन संतोषजनक रहा है। बड़े और मध्यम आकार वाले 18 राज्यों में छत्तीसगढ़ चौथे स्थान पर है, जहाँ उसे 10 में से 6.02 अंक प्राप्त हुए हैं। इस सूची में तेलंगाना 6.48 अंक के साथ शीर्ष पर है, जिसके बाद आंध्र प्रदेश (6.44) और कर्नाटक (6.19) का स्थान आता है। इस रैंकिंग में छत्तीसगढ़ ने महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों को पीछे छोड़ते हुए पुलिस प्रशासन और प्रभावशीलता में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है।
हालांकि, इंडिया जस्टिस रिपोर्ट में मूल्यांकन किए गए अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन काफी भिन्न है। न्यायपालिका की रैंकिंग में राज्य आठवें स्थान पर है, जहाँ इसका स्कोर 5.39 है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र में काफी सुधार की गुंजाइश है। न्यायपालिका रैंकिंग में केरल 7.43 अंक के साथ पहले स्थान पर है, जबकि तेलंगाना (6.91) और तमिलनाडु (6.72) दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
जेल प्रबंधन की रैंकिंग में छत्तीसगढ़ अपेक्षाकृत नीचे है और 18 राज्यों में तेरहवें स्थान पर है, जहाँ इसे केवल 4.54 अंक मिले हैं। इस श्रेणी में तमिलनाडु 7.02 अंक के साथ शीर्ष पर है, इसके बाद कर्नाटक और केरल आते हैं। जेल प्रबंधन में छत्तीसगढ़ की निम्न रैंकिंग जेल के बुनियादी ढांचे, प्रबंधन प्रक्रियाओं और कैदियों के पुनर्वास कार्यक्रमों में सुधार की आवश्यकता को दर्शाती है।
कानूनी सहायता सेवाओं के मामले में छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन बेहतर रहा है, जहाँ यह सातवें स्थान पर है और इसका स्कोर 6.41 है। इस सूची में कर्नाटक 7.52 अंकों के साथ शीर्ष पर है, जबकि पंजाब (7.16) और हरियाणा (6.72) क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। कानूनी सहायता में छत्तीसगढ़ का अच्छा प्रदर्शन नागरिकों को कानूनी सहायता प्रदान करने के प्रभावी तंत्र को दर्शाता है, हालांकि शीर्ष राज्यों के मुकाबले अभी भी सुधार की संभावना है।
कुल मिलाकर, इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 में छत्तीसगढ़ की न्याय प्रणाली के परिणाम मिश्रित रहे हैं। राज्य की पुलिस और कानूनी सहायता के क्षेत्र में सराहनीय प्रगति हुई है, लेकिन न्यायपालिका की दक्षता और जेल प्रबंधन में महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता बनी हुई है, जिससे राज्य का न्याय तंत्र केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे अग्रणी राज्यों के स्तर तक पहुँच सके। राज्य के नीति निर्माताओं को रणनीतिक रूप से इन कमियों को दूर करने की दिशा में व्यापक सुधारों पर जोर देना चाहिए।

Judicial report