रायपुर । स्कूल शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक से उच्च वर्ग शिक्षक (Teacher to upper class teacher) औऱ उच्च वर्ग शिक्षक से मिडिल स्कूल हेडमास्टर के पद (Post of Headmaster) पर की गई पदोन्नति के बाद पोस्टिंग में संशोधन को लेकर हलचल मची हुई है। ख़बरों के मुताब़िक संशोधन आदेश निरस्त होने की संभावना नज़र आ रही है। इसे लेकर क़ानूनी पहलू पर भी चर्चाएं चल रही हैं और माना जा रहा है कि आदेश निरस्त होने पर कई जिला शिक्षा अधिकारियों और बाबूओं पर भी कार्रवाई हो सकती हैइस मामले में लोगों की यह राय भी सामने आ रही है।
संशोधन के निरस्त होने वाली संभावित कार्यवाही में न्याय के लिए प्रचलन में प्राकृतिक न्याय का सिंद्धांत, जो सामान्य कानून की एक अवधारणा है। जिसमें निष्पक्षता, औचित्य एवं समानता का समावेश होता है। यह नियम अगर स्कूल शिक्षा विभाग के पदोन्नति संशोधन मामले में लागू हुआ तो प्रदेश के 33 में से करीब 27 जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ओर से की गई सहायक शिक्षको की प्राथमिक स्कूल के हेडमास्टर के पद पर हुई 2022-23 में पदोन्नति में हुए संशोधन को मान्यता देते हुए उसे रद्द करने और इतने ही जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों और सम्बंधित बाबूओं पर शासन को क्या कार्यवाही करने पर मजबूर कर सकता है ..? कानून की नजर में नियोक्ता के अधिकार की परिभाषा एक ही विभाग में अलग अलग नही हो सकती है।
इनपुट (भोजेंद्र वर्मा)
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