रायपुर। कांग्रेस की फैक्ट फाइटिंग टीम भी छत्तीसगढ़ के विधानसभा और लोकसभा चुनाव के कारणों पर अंदरूनी तौर पर हैरानी जता चुकी है। भले ही उसकी बातें सार्वजनिक रूप के बजाय सिर्फ संगठन के जिम्मेदारों तक ही सीमित रह गई। लेकिन अब पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव से पूर्व कांग्रेस अपने संगठन में बदलाव कर सकती है। वैसे ये अलग बात है कि संगठन में छंटनी और नई जिम्मेदारों को किस स्तर तक होती है। चर्चा है कि कांग्रेस में चली गुटबाजी की बीमारी को सबसे पहले दूर करने की कवायद शीर्ष नेतृत्व करने की तैयारी में हैं।
- ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि इसमें कांग्रेस के दिग्गजों को इसमें कितना महत्व मिलता है। क्योंकि विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के तत्काल बाद एक नेता ने तो यहां तक कह दिया था कि सभी अपना-अपना चलाने में निपट गए। अब पुरानी बातों से उबरने के लिए हार की समीक्षा भी हुई, लेकिन कोई ठोस हल सामने नहीं आया। इसके बाद कायस लगाए जा रहे थे, कि भूपेश बघेल के करीबियों सहित कई ऐसे नेता जिनके खास लोग संगठन में हैं। उन्हें दरकिनार करने की आवश्यकता कांग्रेस के पुराने कार्यकर्ताओं ने भी जताई है। ऐसे में देखने वाली बात है कि पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव से पूर्व कांग्रेस अपनी पार्टी में आई विसंगतियों को किस हद तक दूर कर पाएगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
–भ्रष्टाचार…गुटबाजी… के मुद्दे पर भी कांग्रेस की हार हुई…..?
वैसे अगर देखा जाए तो 2018 में कांग्रेस की भूपेश सरकार बनते ही, आपसी गुट की नींव और फूट पड़ गई थी। इसके बाद ढाई-ढाई साल के सीएम के मुद्दे पर मचे घमासान के बावजूद सार्वजनिक रूप से कांग्रेस इंकार करती रही। लेकिन कांग्रेस के तात्कालीन विधायक बृहस्पत सिंह द्वारा टीएस सिंहदेव पर जान से मारने की साजिश जैसे आरोप लगाना, फिर विधानसभा में माफी मांगना। यही से वह टर्निंग प्वाइंट बना, जिससे कांग्रेस में शीतयुद्ध शुरू हो गया। आरोप के बाद बदले माहौल में कांग्रेस संगठन के तौर पर गुटबाजी में पूरे पांच साल फंसी रही।
- इधर कथाकथित कुछ अफसर और नेता-कारोबारी जो भूपेश के करीबी हो गए और फिर उसके बाद सत्ता का विकेंद्रीयकरण हो गया। इसके बाद भ्रष्टाचार के दीमक इस कदर लगे कि भूपेश सरकार के अच्छे काम के बावजूद छवि धूमिल होती चली गई। ये दीगर बात है कि कांग्रेस इसके लिए बार-बार भाजपा को जिम्मेदार ठहराती रही। लेकिन कुछ तो सच्चाई थी, क्योंकि ईडी के छापे में मिल रही करोड़ों की नकदी और काेयला लेवी और शराब घोटाले में भूपेश के खास लोगों के जेल जाने के प्रकरण ने कांग्रेस का चुनावी खेल बिगाड़ दिया। कांग्रेस मुगालते में रही कि उनके काम की वजह से जनता वोट देगी, लेकिन जनता ने कांग्रेस को नाकारते हुए भाजपा को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के इनाम में सत्ता सौंप दी। अब कांग्रेस के सामने चुनौती है कि पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव में जीत हासिल करना।
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