रायपुर। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा 58 प्रतिशत आरक्षण की बहाली का कांग्रेस ने स्वागत किया है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला (Sushil Anand Shukla) ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय से राज्य में रुकी भर्तियां फिर से शुरू हो सकेंगी। यह निर्णय लक्ष्य नहीं है अंतिम लक्ष्य तो आरक्षण संशोधन विधेयक के लागू होने के बाद ही मिल सकेगा। कांग्रेस सरकार ने राज्य के सर्वसमाज के हित में विधानसभा में सर्वसम्मति से आरक्षण संशोधन विधेयक पारित करवा कर राज्यपाल के पास भेजा है। आरक्षण संशोधन विधेयक पिछले 4 महिने से राजभवन में लंबित पड़ा है लेकिन राजभवन उस पर कोई निर्णय नहीं ले रहा जिसके कारण प्रदेश के आरक्षित वर्ग के लोगों को उनका हक नहीं मिल रहा है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि पूर्ववर्ती रमन सरकार ने यदि 2012 में बिलासपुर कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किये गये मुकदमे में सही तथ्य रखे होते तथा 2011 में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 58 प्रतिशत करने के समय दूसरे वर्ग के आरक्षण की कटौती के खिलाफ निर्णय नहीं लिया होता तब आरक्षण की सीमा 50 से बढ़कर 58 हो ही रही थी तो उस समय उसे 4 प्रतिशत और बढ़ा देते सभी संतुष्ट होते कोर्ट जाने की नौबत नहीं आती और न आरक्षण रद्द होता। आरक्षण को बढ़ाने के लिये तत्कालीन सरकार ने तत्कालीन गृहमंत्री ननकी राम कंवर की अध्यक्षता में मंत्री मंडलीय समिति का भी गठन किया था। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी कमेटी बनाई गयी थी। रमन सरकार ने उसकी अनुशंसा को भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जिसका परिणाम है कि अदालत ने 58 प्रतिशत आरक्षण के फैसले को रद्द कर दिया था। रमन सरकार की बदनीयती से यह स्थिति बनी थी।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी थी। मुकुल रोहतगी, कपिल सिब्बल, अभिषेक मनुसिंघवी जैसे नामी वकील आदिवासी आरक्षण का पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा। कांग्रेस आदिवासी समाज के हितो के लिये पूरी कानूनी लड़ाई लड़ा। इसका परिणाम सामने आया है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस ने सर्व समाज को आरक्षण देने विधानसभा से आरक्षण संशोधन विधेयक पारित करवा कर राजभवन भेजा है लेकिन भाजपा के षड़यंत्रों के कारण उस पर हस्ताक्षर नहीं हो रहा है। इस विधेयक में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति को उनकी जनगणना के आधार पर तथा पिछड़ा वर्ग को क्वांटी फायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण का प्रावधान किया।
इस विधेयक में अनुसूचित जनजाति के लिये 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति के लिये 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को भी 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। 76 प्रतिशत का आरक्षण सभी वर्गों की आबादी के अनुसार निर्णय लिया है। यह विधेयक यदि कानून का रूप लेगा तो हर वर्ग के लोग संतुष्ट होंगे। सभी वंचित वर्ग के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने सामाजिक न्याय को लागू करने यह विधेयक बनाया गया है। जिस पर राजभवन से शीघ्र हस्ताक्षर होना चाहिये।