रायपुर: छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दीपक बैज (Deepak Baij) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश के उपराष्ट्रपति पद के लिए छत्तीसगढ़ से बीजेपी के वरिष्ठ नेता रमेश बैस का नाम प्रस्तावित किया है। बैज ने पत्र में यह उल्लेख किया कि छत्तीसगढ़ ने भारतीय जनता पार्टी को कई बार भारी समर्थन दिया है, लेकिन फिर भी राज्य को केंद्र सरकार में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला। उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ के नेताओं को उपराष्ट्रपति पद पर प्राथमिकता मिलनी चाहिए, खासकर जब हमारे राज्य का कई बार समर्थन किया गया है। रमेश बैस, जो सात बार सांसद रह चुके हैं और विभिन्न राज्यों के राज्यपाल रह चुके हैं, उपराष्ट्रपति पद के लिए सक्षम उम्मीदवार हैं।”
बैज ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी के 10 सांसदों को किसी भी महत्वपूर्ण पद पर प्रतिनिधित्व नहीं मिला, और उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि राज्य के सांसदों को उचित स्थान दिया जाए।
Deepak Baij Letter
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की मांग
इसी बीच, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने भी उपराष्ट्रपति पद को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया है। 23 जुलाई को रेवंत ने कहा कि अगले उपराष्ट्रपति का पद तेलंगाना से होना चाहिए और इसके लिए उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता बंडारू दत्तात्रेय का नाम सुझाया। रेवंत ने कहा, “मैं यह समझने की कोशिश कर रहा हूं कि जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा क्यों दिया, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन अब इस पद को तेलंगाना से किसी नेता को मिलना चाहिए। पिछली बार वेंकैया नायडू को राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित किया गया था, लेकिन तेलुगू भाषी नेता को दरकिनार किया गया। यह अन्याय था और इसे सुधारने के लिए दत्तात्रेय को उपराष्ट्रपति बनाना चाहिए।”
मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि दत्तात्रेय को केंद्रीय कैबिनेट से हटा कर उनकी जगह किशन रेड्डी को पद सौंपा गया, जो कि बीजेपी की रणनीति का हिस्सा था। रेवंत ने कहा, “दत्तात्रेय को उपराष्ट्रपति पद मिलना चाहिए ताकि ओबीसी वर्ग के साथ किए गए अन्याय को सही किया जा सके।”
कांग्रेस नेताओं के समर्थन में उठी आवाज़
इन दोनों नेताओं के बयानों से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस ने बीजेपी नेताओं को उपराष्ट्रपति पद के लिए समर्थन देना शुरू कर दिया है, जिसका उद्देश्य अपने राज्य के नेताओं को महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर स्थान दिलाना है। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के नेताओं द्वारा यह कदम, आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर राज्यस्तरीय दबाव बढ़ाने की कोशिश प्रतीत होता है।