पूर्व CM रमन की जांच ‘ACB’ से कराने कांग्रेसी ‘राजभवन’ पहुंचे, जानें, वजह
By : madhukar dubey, Last Updated : January 31, 2023 | 9:51 pm
बता दें, एंटी करप्शन ब्यूरो-एसीबी (acb) ऐसी जांच का प्रस्ताव काफी पहले ही भेज चुका है, जिस पर राज्यपाल की अनुमति मांगी थी। राजनांदगांव के कांग्रेस नेता नवाज खान के शिकायत पर शासन ने जांच कराने का निर्णय लिया है।
शिकायत में यह बात थी कि रमन सिंह और उनके पुत्र अभिषेक सिंह पर आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाया था। सरकार ने इसकी जांच एंटी करप्शन ब्यूरो-एसीबी को सौंपा था। शुरुआती जांच के बाद एसीबी ने इन आरोपों को जांच योग्य पाया है। पूर्व मुख्यमंत्री और विधायक के खिलाफ जांच से पहले नियम आड़े आये तो एंटी करप्शन ब्यूरो ने सरकार से इसकी अनुमति मांगी। सरकार की ओर से यह प्रस्ताव राजभवन भेजकर उसपर राज्यपाल की अनुमति मांगी गई, लेकिन अब तक उसपर कोई फैसला नहीं हो पाया है।
पूर्व मुख्यमंत्री @drramansingh के खिलाफ दर्ज आय से अधिक संपत्ति मामले पर जांच की अनुमति देने का आग्रह लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रतिनिधि मंडल राजभवन पहुँचा। pic.twitter.com/GHnfW6j6Ww
— INC Chhattisgarh (@INCChhattisgarh) January 31, 2023
कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में ये लोग रहे शामिल
इस दौरान रायपुर शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश दुबे, प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला, प्रवक्ता आर.पी. सिंह, सुरेंद्र वर्मा, शिव सिंह ठाकुर, रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे आदि शामिल थे। राज्यपाल नहीं मिलीं तो राजभवन के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपकर ये नेता लौट आए। दैनिक भास्कर से बात करते हुए कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुकला ने कहा, डॉ. रमन सिंह के खिलाफ अनुपातहीन संपत्ति की शिकायत है। एसीबी ने जांच में शिकायत को सही पाया है। आगे की जांच के लिए राजभवन से अनुमति मांगी गई है। वह प्रस्ताव राजभवन में लंबित है। हम लोगों ने मांग की है कि जांच को अनुमति दी जाए ताकि छत्तीसगढ़ की जनता को पता लगे कि १५ सालों में उनको कितना लूटा गया है।
कांग्रेस ने कई सवाल उनकी सम्पत्ति को लेकर खड़े
कांग्रेस का आरोप है कि १९९८ में कवर्धा विधानसभा का चुनाव हारने के बाद रमन सिंह कर्ज में डूबे हुए थे। मुख्यमंत्री बनने तक वे एक मध्यमवर्गीय संयुक्त परिवार के सदस्य थे। २००८ में विधानसभा काचुनाव लड़ते समय रमन सिंह ने एक करोड़ की संपत्ति का कुल ब्यौरा दिया था। २०१३ के चुनाव में यह बढ़कर ५ करोड़ और २०१८ के चुनाव में १०.७२ करोड़ रुपए हो गई। आरोप है कि रमन सिंह ज्ञात रूप से कोई कारोबार भी नहीं करते। फिर उनकी संपत्ति इतना कैसे बढ़ गई।