छत्तीसगढ़ कैबिनेट में 14वें मंत्री पर बवाल, हाईकोर्ट में दूसरी याचिका दाखिल

हाईकोर्ट में यह दूसरी याचिका है। पहली याचिका बसदेव चक्रवर्ती नाम के कांग्रेस कार्यकर्ता ने डाली थी, जो पहले से विचाराधीन है। इस नई याचिका पर अब सोमवार को सुनवाई संभावित है।

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  • Publish Date - September 5, 2025 / 03:24 PM IST

बिलासपुर: बिलासपुर की गर्मी के बीच सियासत का पारा हाईकोर्ट (High Court) की चौखट तक पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अब दूसरी बार न्यायिक सवाल उठ खड़ा हुआ है। शुक्रवार को कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने बिलासपुर हाईकोर्ट में एक नई याचिका दाखिल की है। याचिका में साफ तौर पर आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 164(1A) का उल्लंघन करते हुए 14वां मंत्री नियुक्त कर दिया है।

संविधान के मुताबिक, किसी भी राज्य में मंत्रियों की संख्या विधानसभा की कुल सीटों के 15% से अधिक नहीं हो सकती। छत्तीसगढ़ में 90 विधायक हैं, और उस अनुपात से अधिकतम 13.5 मंत्री बनाए जा सकते हैं। यानी 13 मंत्री तो हो सकते हैं, लेकिन 14वें मंत्री की गुंजाइश नहीं। बावजूद इसके 20 अगस्त को तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई, जिसके बाद मंत्रिमंडल की संख्या 14 पहुंच गई। यही संख्या अब अदालत में सवाल बनकर पहुंची है।

हाईकोर्ट में यह दूसरी याचिका है। पहली याचिका बसदेव चक्रवर्ती नाम के कांग्रेस कार्यकर्ता ने डाली थी, जो पहले से विचाराधीन है। इस नई याचिका पर अब सोमवार को सुनवाई संभावित है। कांग्रेस का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार से अनुमति नहीं मिलती, तब तक 14वां मंत्री नियुक्त करना असंवैधानिक है। इसी मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था, “क्या केंद्र सरकार ने 14वें मंत्री की इजाजत दे दी है? अगर दी है तो ठीक, लेकिन अगर नहीं दी, तो फिर ये नियुक्ति असंवैधानिक है।”

दूसरी तरफ बीजेपी ने पलटवार करते हुए हरियाणा फॉर्मूले का हवाला दिया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि हरियाणा में भी 90 सदस्यीय विधानसभा है और वहां भी मुख्यमंत्री समेत 14 मंत्री हैं। फिर छत्तीसगढ़ में क्यों आपत्ति? बीजेपी का तर्क है कि यह व्यावहारिक मामला है और इसकी व्याख्या लचीली हो सकती है।

हालांकि कांग्रेस इस दलील को नहीं मान रही। उसका तर्क है कि सिर्फ किसी अन्य राज्य में नियमों का उल्लंघन हुआ है, यह अपने आप में छत्तीसगढ़ में भी वैसा ही करने का लाइसेंस नहीं हो सकता।

राज्य की राजनीति अब न्यायपालिका के दरवाजे पर है। क्या हाईकोर्ट 14वें मंत्री को हटाने का आदेश देगा? या फिर हरियाणा फॉर्मूले को वैध मानते हुए राज्य सरकार को राहत मिलेगी? इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में सामने आएगा। लेकिन फिलहाल बिलासपुर की अदालत में संविधान और सत्ता की जंग जारी है।