जब नंदी जी की मूर्ति पीने लगी दूध-पानी!, मंदिरों में भक्तों की भीड़

By : madhukar dubey, Last Updated : November 15, 2022 | 8:54 pm

छत्तीसगढ़।इसे आस्था कहें कि अंधविश्वास लेकिन कभी-कभी आंखों के सामने जो सच्चाई दिखती है, उसे नाकारा भी नहीं जा सकता। वैसे ये कोई नई बात नहीं है। शायद आप सभी को याद होगा कि सन 1995 में चतुर्थी के दिन गणेश की मूर्तियों के भी पानी पीने की खबर आग की तरह पूरे देश में फैल गई थी। उस वक्त भी गणेश मंदिराें में जगह-जगह मूर्ति को पानी पिलाने की भीड़ जुट गई थी। फिलहाल, चाहे जो भी हो, आस्था हर चीज पर भारी पड़ती है। भले ही इसके पीछे वैज्ञानिक कारण हो। लेकिन आस्था के आगे सब कुछ नगण्य है।

ऐसा कुछ मंगलवार को अचानक बालोद जिले के ग्राम सांकरा जगन्नाथपुर के हनुमान मंदिर में मौजूद शिवलिंग के सामने नंदी जी मूर्ति के साथ हुआ। जहां उसके पानी पीने की खबर तेज फैल गई। फिर क्या था, देखते ही देखते पूरा गांव मंदिर पर उमड़ पड़ा। जहां लोग पानी पिलाने के लिए जुटने लगे। जैसे ही इसकी खबर सोशल मीडिया में फैली तो जिले में नंदी जी की मूर्ति को पानी पिलाने का सिलसिला शुरू हुआ, जो देरशाम तक जारी रहा। अभी बीते मार्च में भी नंदी जी की मूर्ति के पानी पीने की सूचना सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी।

लोग बड़ी सावधानी से पानी पिला रहे थे तो कुछ इसे अंधविश्वास बता रहे

नंदी की मूर्ति की प्रतिमा के पानी पीने की घटना की जांच करने के लिए भी अधिकांश लोग मंदिरों में पहुंचे। जहां उनके पानी पीने की घटना से लोग चौंक पड़े। इसके बाद तो लोगों की लंबी-लंबी कतारें लग गई और पानी पिलाने की जैसे होड़ मच गई। हांलाकि कुछ लोगों ने इसे अंधविश्वास और अफवाह बताया। क्योंकि अभी तक इसके पुष्ट कारण आज तक नहीं पता चल सका है।

एक्सपर्ट व अंधश्रद्धा समिति अध्यक्ष ने इस पर ये कहा

इस तरह की घटना पहले भी हो चुकी है। कोई भी मूर्ति कुछ भी द्रव्य या पदार्थ ग्रहण नहीं करता है। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र के मुताबिक प्रतिमा में छोटे-छोटे छिद्र होते है, जिसके कारण वह पानी अवशोषण करता है। लोगों को लगता है कि मूर्ति पानी या अन्य द्रव्य पदार्थ ग्रहण कर रहे। इस तरह की घटना प्राकृतिक है। लोगों को अंधविश्वास पर नहीं पड़ना चाहिए।

अभी तक वैज्ञानिक ये देते रहे हैं दलील, पर सही कारण नहीं पता

वैसे वैज्ञानिक लोग इसके पीछे चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का कारण भी बताते हैं। इन वैज्ञानिक कराणों के पीछे भी एक तर्क नहीं, कई हैं। वैसे किसी भी धर्म के मानने वाले आस्था को ही महत्व देते हैं। धर्म गुरूओं के मुताबिक आज तक विज्ञान आत्मा और परमात्मा को नहीं खोज सका। क्योंकि ये दिखती नहीं है सिर्फ महसूस की जा सकती है। जैसे हवा के स्पर्श को अहसास किया जा सकता है। सुगंध को भी देखा नहीं जा सकता, उसे भी महसूस किया जा सकता है। बहरहाल, बात चाहे कुछ हो भी लेकिन हम अंधविश्वास को नहीं मानते। यह रिपोर्ट अंधविश्वास को कत्तई समर्थन नहीं करती।