‘धधकेगी’ हसदेव अरण्य बचाओ ‘आंदोलन’ की आग!, कल आएंगे टिकैत
By : madhukar dubey, Last Updated : February 12, 2023 | 5:59 pm
ऐसे में जाहिर है कि हसदेव के मुद्दे पर एक बार फिर सरकार से टकराने के आसार बनेंगे। लेकिन अभी पूरी रणनीति का खुलासा नहीं हो सका है। बता दें, हसदेव अरण्य में कोयला खनन परियोजनाओं के विरोध में स्थानीय आदिवासी ग्रामीण पिछले 10 वर्षों से आन्दोलन कर रहे हैं।
अक्टूबर 2021 में हसदेव के ग्रामीणों ने वहां से रायपुर तक 300 किलोमीटर पदयात्रा कर मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मुलाकात की थी। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने बताया, राकेश टिकैत सोमवार सुबह 8 बजे दिल्ली से रायपुर पहुंचेंगे। उनके साथ किसान आंदोलन के कुछ और नेता भी यहां पहुंचने वाले हैं। यहां से वे सरगुजा के सड़क मार्ग से रवाना होंगे।
2 मार्च 2022 से ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर
कोई कार्रवाई नहीं होने पर दो मार्च 2022 से ग्रामीण अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं। यह किसान महा सम्मेलन भी धरना स्थल हरिहरपुर में ही आयोजित है। ग्रामीणों का कहना है, अगर हसदेव का जंगल कट गया तो न सिर्फ जीवनदायनी हसदेव नदी सूख जाएगी बल्कि ऑक्सीजन का प्रमुख स्रोत भी ख़त्म हो जायेगा| पिछले 5 वर्षो में यहां 70 से ज्यादा हाथी और सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो चुकी है। प्रदेश के किसानों की हजारों हेक्टेयर फसल प्रतिवर्ष हाथियों द्वारा रौंदी जा रही है।
केंद्रीय वन्यजीव संस्थान बता चुका है इसके नुकसान
पिछले साल हसदेव अरण्य क्षेत्र पर केंद्र सरकार के संस्थान “भारतीय वन्य जीव संस्थान” की एक रिपोर्ट आई थी। इसमें कहा है कि “यदि हसदेव में किसी भी खनन परियोजना को अनुमति दी गई तो बांगो बांध खतरे में पढ़ जायेगा, उसकी जल भराव की क्षमता कम हो जाएगी। खनन होने से छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी का संघर्ष इतना ज्यादा बढ़ जायेगा कि फिर उसे कभी नियंत्रित नही किया जा सकेगा”। इसके बाद भी इस क्षेत्र में खनन गतिविधियों को शुरू करने की जिद जारी है। स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
पिछले साल भारी पुलिस बल की मौजूदगी में शुरू हुई थी कटाई
पिछले साल सितम्बर में वन विभाग, प्रशासन और खनन कंपनी ने पेण्ड्रामार जंगल के इलाके में पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई कराई। यह कटाई भारी पुलिस बल की मौजूदगी में सुबह 5-6 बजे ही शुरू करा दी गई थी।
विरोध कर रहे ग्रामीणों को जबरन पकड़कर पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। जिन्हे देर शाम छोड़ा गया। यह कटाई परसा ईस्ट केते बासन खदान के दूसरे फेज के लिए हुई। जिसके तहत 43 हेक्टेयर का जंगल काटा गया। खदान के इस विस्तार से सरगुजा जिले का घाटबर्रा गांव उजड़ जाएगा। वहीं एक हजार 138 हेक्टेयर का जंगल भी उजाड़ा जाना है। इस क्षेत्र में परसा खदान के बाद इस विस्तार का ही सबसे अधिक विरोध था।