भारत माला परियोजना घोटाला छत्तीसगढ़ में ईडी की बड़ी कार्रवाई नौ ठिकानों पर छापेमारी

यह कार्रवाई भारत माला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम आर्थिक कॉरिडोर के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण में मुआवजा भुगतान की कथित गड़बड़ियों को लेकर की गई है।

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  • Publish Date - December 29, 2025 / 11:57 AM IST

रायपुर/महासमुंद: छत्तीसगढ़ में भारत माला परियोजना (Bharatmala Project) से जुड़े भूमि अधिग्रहण घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है। जांच एजेंसी ने राज्य के अलग अलग जिलों में कुल नौ ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। रायपुर में हरमीत सिंह खनूजा के निवास पर ईडी की टीम ने तड़के सुबह दबिश दी। वहीं महासमुंद जिले के मेघ बसंत क्षेत्र में व्यवसायी जसबीर सिंह बग्गा के घर भी जांच चल रही है। सुबह छह बजे से ईडी की टीमें दस्तावेजों की जांच और पूछताछ में जुटी हुई हैं।

यह कार्रवाई भारत माला परियोजना के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम आर्थिक कॉरिडोर के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण में मुआवजा भुगतान की कथित गड़बड़ियों को लेकर की गई है। ईडी को संदेह है कि मुआवजा तय करने और उसके वितरण में बड़े स्तर पर नियमों का उल्लंघन हुआ है। छापेमारी के दौरान सभी परिसरों के बाहर सुरक्षा बल तैनात हैं और किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

जांच के दायरे में निजी व्यक्तियों के साथ साथ कुछ सरकारी अधिकारी और जमीन मालिक भी शामिल हैं। ईडी की टीम उन लोगों से जुड़े ठिकानों की तलाशी ले रही है जिन पर मुआवजा राशि में हेरफेर और संदिग्ध लेनदेन का आरोप है। अधिकारियों का कहना है कि दस्तावेजों की जांच के बाद पूछताछ का दायरा और बढ़ सकता है।

हरमीत सिंह खनूजा को रायपुर विशाखापट्टनम आर्थिक कॉरिडोर से जुड़े भूमि मुआवजा घोटाले का अहम किरदार माना जाता है। आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज और कागजी बंटवारे के जरिए मुआवजा राशि हासिल करने में मदद की। जांच एजेंसियों के अनुसार म्यूटेशन में हेरफेर कर रकम अलग अलग खातों में ट्रांसफर की गई। इससे पहले आर्थिक अपराध शाखा ने पच्चीस अप्रैल दो हजार पच्चीस को उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए छापेमारी और गिरफ्तारी की थी।

जांच में सामने आया है कि भारत माला परियोजना के तहत करीब तैंतालीस करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। जमीन को छोटे छोटे हिस्सों में बांटकर एनएचएआई को अठहत्तर करोड़ रुपये का भुगतान दिखाया गया। एसडीएम पटवारी और भू माफिया के एक संगठित नेटवर्क ने बैक डेट में दस्तावेज तैयार कर इस घोटाले को अंजाम दिया।

इस मामले में पहले भी प्रशासनिक कार्रवाई हो चुकी है। कोरबा के डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे और जगदलपुर के निगम आयुक्त निर्भय साहू को निलंबित किया गया था। दोनों अधिकारियों पर जांच रिपोर्ट आने के कई महीने बाद कार्रवाई की गई। निर्भय साहू समेत पांच अधिकारियों और कर्मचारियों पर तैंतालीस करोड़ अठारह लाख रुपये से अधिक की गड़बड़ी का आरोप है।

राजस्व विभाग की रिपोर्ट के अनुसार अभनपुर क्षेत्र के नायकबांधा और उरला गांव में जमीन को एक सौ उनसठ खसरों में बांट दिया गया। मुआवजा पाने के लिए रिकॉर्ड में अस्सी नए नाम जोड़े गए। इससे करीब पांच सौ उनसठ मीटर जमीन की कीमत उनतीस करोड़ पचास लाख रुपये से बढ़कर सत्तर करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंच गई।

अभनपुर बेल्ट में नौ दशमलव तीन आठ किलोमीटर सड़क परियोजना के लिए कुल तीन सौ चौबीस करोड़ रुपये का मुआवजा तय किया गया था। इसमें से दो सौ छियालीस करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है जबकि अठहत्तर करोड़ रुपये का भुगतान फिलहाल रोक दिया गया है। ईडी की मौजूदा कार्रवाई को इसी बचे हुए भुगतान और उससे जुड़ी अनियमितताओं से जोड़कर देखा जा रहा है।