शराब ट्रांसपोर्ट के कोरोबारियों के यहां ED का छापा, दुबई से जुड़ा हवाला कनेक्शन!

शराब घोटलों के तार दुर्ग (liquor scam wire durg) जिले में भी ईडी को मिले हैं। मंगलवार की सुबह ईडी की टीम ने एक बार फिर से छापेमार कार्रवाई की है। प्रदेश में ईडी ने 2000 करोड रुपए के आसपास शराब घोटाले का दावा किया है।

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  • Updated On - May 9, 2023 / 02:56 PM IST

छत्तीसगढ़। शराब घोटलों के तार दुर्ग (liquor scam wire durg) जिले में भी ईडी को मिले हैं। मंगलवार की सुबह ईडी की टीम ने एक बार फिर से छापेमार कार्रवाई की है। प्रदेश में ईडी ने 2000 करोड रुपए के आसपास शराब घोटाले का दावा किया है। इस मामले में रायपुर के कारोबारी अनवर ढेबर ED की हिरासत में है और बार-बार महापौर एजाज ढेबर को भी पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर में बुलाया जा रहा है। अब मंगलवार को हुई छापेमारी के तार इसी कार्रवाई और घोटाले से जुड़े हैं।

खबर है कि अनवर से पूछताछ में छत्तीसगढ़ के बड़े ऐसे कारोबारियों के नाम सामने आए हैं जो हवाला का काम भी कर रहे थे। बड़ी मात्रा में रकम को विदेशी खातों में ट्रांसफर कर दिया करते थे, इसके अलावा कुछ ऐसे नाम भी सामने आए हैं जो आबकारी विभाग के अधिकारियों और कुछ नेताओं के साथ मिलीभगत करके शराब में अवैध पैसा बना रहे थे।

इनके ठिकानों पर सर्चिंग

मंगलवार को जिनके ठिकानों पर ईडी ने दबिश दी है, उनमें रवि बजाज, सुमित मालू और भिलाई के रहने वाले अरविंद सिंह शामिल हैं। इन सभी के ठिकानों पर ईडी की टीम सर्चिंग कर रही है।

2 महीने पहले मिले सबूत

28 मार्च को ED की टीम जमीन कारोबारी सुरेश बांदे, सीए प्रतीक जैन और कांग्रेस से जुड़े नेताओं के ठिकानों पर पहुंची थी। बुधवार 29 मार्च को रायपुर में IAS अनिल टुटेजा, शराब कारोबारी बलदेव सिंह भाटिया, भिलाई के होटल संचालक विनोद सिंह, रायपुर के महापौर एजाज ढेबर, उनके भाई के घर पहुंची।

ये भी ईडी की रडार पर

दुर्ग जिला मुख्यालय की बात करें तो नेहरू नगर निवासी एन उदय राव, शराब कारोबारी पप्पू बंसल, स्मृति नगर निवासीअतुल सिंह, नेहरू नगर निवासी संजीव फतेपुरिया, आबकारी अफसर एपी त्रिपाठी के ठिकानों पर जांच की गई थी। इस छापे में ईडी को कई सबूत मिले अब यह सभी ईडी के रडार पर हैं।

बड़ी तादाद में रकम दुबई भेजी गई।

ईडी ने आधिकारिक तौर पर दावा किया है कि कारोबारी ढेबर और उसके साथियों ने प्रदेश में शराब के नाम पर एक सिंडिकेट खड़ा किया, जो सरकारी दुकानों में शराब की बोतल पहुंचने तक अपना मुनाफा उसमें जोड़ लिया करता था । इसमें शराब की बोतल बनाने से लेकर शराब की लेबलिंग करने वालों तक से वसूली की गई। बड़ी तादाद में रकम दुबई भेजी गई।

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