मोक्षित कॉर्पोरेशन पर ईडी की बड़ी कार्रवाई: रीएजेंट खरीदी घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा

दुर्ग के गंजपारा स्थित मोक्षित कॉर्पोरेशन शांतिलाल चोपड़ा और उनके बेटे शशांक चोपड़ा की कंपनी है, जो दवा और मेडिकल उपकरणों की सप्लाई करती है।

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  • Publish Date - July 30, 2025 / 12:51 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में हुए रीएजेंट खरीदी घोटाले में शामिल मोक्षित कॉर्पोरेशन अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) के रडार पर है। बुधवार को ईडी ने दुर्ग स्थित मोक्षित कॉर्पोरेशन के कई ठिकानों पर दबिश दी। इस मेडिकल घोटाले की जांच पहले राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) द्वारा की जा रही थी, लेकिन जांच के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग के संकेत मिलने के बाद ईडी ने इस मामले में कदम बढ़ाए।

ईडी ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के दस्तावेज़ पहले ईओडब्ल्यू से प्राप्त किए थे और अब इन दस्तावेजों की गहरी जांच के बाद उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप मिले। इसके बाद बुधवार को ईडी ने दुर्ग में छापेमारी की और कॉर्पोरेशन के सभी प्रमुख ठिकानों पर दबिश दी।

मोक्षित कॉर्पोरेशन की पहचान

दुर्ग के गंजपारा स्थित मोक्षित कॉर्पोरेशन शांतिलाल चोपड़ा और उनके बेटे शशांक चोपड़ा की कंपनी है, जो दवा और मेडिकल उपकरणों की सप्लाई करती है। यह कंपनी कई सालों से सरकारी एजेंसियों को दवाइयाँ और मेडिकल इक्विपमेंट्स आपूर्ति कर रही थी।

ईडी की कार्रवाई का विस्तार

ईडी की कार्रवाई यह संकेत देती है कि अब यह जांच सिर्फ तीन टेंडरों तक सीमित नहीं है, जिनमें करीब 650 करोड़ रुपये के रीएजेंट खरीदे गए थे। अब ईडी इस कंपनी के पुराने टेंडरों और कारोबार से संबंधित दस्तावेजों की भी जांच करेगा। साथ ही, सीजीएमएससी के अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी, जो इस मामले में संलिप्त थे।

घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा

ईओडब्ल्यू की जांच में यह सामने आया था कि जिन रीएजेंट्स को खरीदा गया, वे एमआरपी से कई गुना ज्यादा कीमत पर खरीदे गए थे। उदाहरण के तौर पर, 9 रुपये वाली EDTA ट्यूब 2300 रुपये में खरीदी गई थी, जबकि 66 रुपये प्रति दर्जन वाला यूरिन बॉक्स 23,500 रुपये में लिया गया था।

ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले में लगभग 650 करोड़ रुपये की हेराफेरी का दावा किया था, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए बड़ी रकम को शिफ्ट किया गया था। इसके बाद ईडी ने जांच को और व्यापक किया और मोक्षित कॉर्पोरेशन के पुराने टेंडरों को भी खंगालना शुरू कर दिया।

सरकार की भूमिका और जांच

यह घोटाला भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में हुआ था, लेकिन भुगतान विष्णुदेव साय सरकार के समय किया गया था। शुरुआत में साय सरकार पर मामले को दबाने का आरोप लगाया जाता रहा था। मार्च 2023 में जब इस घोटाले का मामला उठे, तो स्वास्थ्य मंत्री ने एक समिति बनाई, लेकिन हैरान करने वाली बात यह रही कि वही अधिकारी, जो इस घोटाले में शामिल थे, उन्हें ही जांच का जिम्मा सौंप दिया गया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के बाद सरकार ने मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप दी, और अब तक मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर और सीजीएमएससी के कई अधिकारी गिरफ्तार हो चुके हैं।

ईडी की जांच के साथ इस घोटाले का दायरा अब और बढ़ गया है। मोक्षित कॉर्पोरेशन के खिलाफ कार्रवाई यह साबित करती है कि मनी लॉन्ड्रिंग और सरकारी खजाने के साथ खेल किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह मामला अब बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश से जुड़ा हुआ है, जिसके पूरे देश में प्रभाव हो सकते हैं।