Election Gossip : बृजमोहन की सियासी ‘अग्निकुंड’ की प्रचंड लपटें! इसे बुझाने के ‘2 उपक्रम’ तैर रहे हवा में…

By : madhukar dubey, Last Updated : March 3, 2024 | 9:30 pm

रायपुर। अब छत्तीसगढ़ की सियासत में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) का बिगुल बज गया है। बीजेपी ने प्रदेश की सभी 11 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। इस सूची में जो एक बड़ा नाम है वह है बीजेपी के कद्दावर नेता और शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल (Education Minister Brijmohan Aggarwal) का। वे रायपुर शहर दक्षिण से आठ बार विधायकी जीत चुके हैं, वह भी ऐतिहासिक रिकार्ड मतों से। इनका प्रभाव सिर्फ इनके विधानसभा तक ही समिति नहीं है। इनका राजनीतिक प्रभाव जनता के बीच पूरे प्रदेश में है। इनकी छवि सहज और सरल स्वभाव के साथ हर किसी को मदद की है। इसके साथ ही अपने व्यवहार और मिलनसार के चलते वे पार्टी कैडर से ऊपर विपक्षी पार्टियों में भी इनका मान सम्मान है। अपनी बेबाक टिप्पणी के चलते भी उनकी लोकप्रियता जनता के बीच है। विधानसभा में वे बड़े ही मुखर होकर जनहित के मुद्दों को उठाते हैं। इनकी सियासी घेराबंदी के आगे विपक्ष पार्टी में खलबली मच जाती है।

  • गौरतलब है कि बृजमोहन अग्रवाल बीजेपी संगठन में चुनावी रणनीति के महारथी माने जाते हैं। बीजेपी की सरकार बनवाने में उन्होंने पूरे प्रदेश में चक्रव्यूह की रचना की थी। इनके सियासी दांवपेंच का फायदा लेने के लिए केंद्रीय नेतृत्व भी इनके अनुभवों का लाभ लेती रहती है। लेकिन इस बार उन्होंने विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण निभाई थी। वे अपने विधानसभा के अलावा प्रदेशभर में अपनी जनसभाओं और यात्राओं के जरिए कांग्रेस के खिलाफ लहर पैदा की थी। नतीजा आज बीजेपी की सरकार है।

बहरहाल, उनको लोकसभा रायपुर सीट से सांसदी का टिकट देकर बीजेपी ने जता दिया है कि बृजमोहन अग्रवाल को केंद्र की में राजनीति लाना है। क्योंकि बृजमोहन अग्रवाल की सियासी रणनीति का लाभ देने के लिए वे केंद्र में मोदी के टीम के एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनेंगे।

  • इनके जीत पर चर्चा करने की जरूरत ‘इसलिए नहीं’ है कि क्योंकि बृजमोहन अग्रवाल की जीत रायपुर लोकसभा सीट पर 2019 के चुनाव की तुलना में रिकार्ड और ऐतिहासिक होगी।

क्या भूपेश के अलावा बृजमोहन का मुकाबला करने लिए कांग्रेस के पास कोई चेहरा है

  • इधर, रायपुर सीट से बृजमोहन अग्रवाल के उम्मीदवार बनाने जाने के बाद अब चर्चा है कि इतने बड़े जनाधार वाले और सियासत के पंडित माने जाने वाले बृजमोहन अग्रवाल के सामने कांग्रेस किसे उतारेगी। वैसे अभी कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। ऐसे में राजनीति गलियारों में यह चर्चा है कि बृजमोहन अग्रवाल जैसे बड़े चेहरे के मुकाबले कांग्रेस किसे उतारेगी। लेकिन कांग्रेस के पास सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अलावा कोई नहीं है। इसके बावजूद भूपेश बघेल बृजमोहन अग्रवाल के सामने टिक पाएंगे, इसमें संशय है। राजनीति के जानकारों के मुताबिक बृजमोहन अग्रवाल को हराने के लिए कांग्रेस के पास चुनावी शतरंज में कोई भी मोहरा नहीं है।

बृजमोहन अग्रवाल की तोड़ के लिए रानीतिक टिप्स भी बता रहे सियासी जानकार

  • 1-राजनीति के विशेषज्ञों के मुताबिक रायपुर जैसे प्रतिष्ठित सीट से लोकसभा का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद कांग्रेस को अपनी रणनीति में परिवर्तन करने की जरूरत है, ताकि हार के अंतर को कम किया जा सके। इसके लिए कांग्रेस के पास अब दो ही विकल्प शेष बचता है।
  • 2-भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल हमेशा शहरी क्षेत्र से ही चुनाव जीते हैं ऐसे में पहली बार उन्हें जब लोकसभा में उतारा गया है तो यह वह समय होगा जब उन्हें ग्रामीण अंचल से भी वोट हासिल करने की जरूरत पड़ेगी। इस स्थिति का लाभ निश्चित रूप से कांग्रेस उठा सकती है।
  • 3-बृजमोहन अग्रवाल को लोकसभा में उतारे जाने के बाद अब कांग्रेस के पास सिर्फ दो ही विकल्प बचते हैं या तो वह बृजमोहन अग्रवाल के कद का कोई कद्दावर नेता को उनके मुकाबले में खड़ा कर दे या फिर ऐसे व्यक्ति को टिकट दे दी जाए जो बहुत ही लो प्रोफाइल का हो, जिसमें दो ही नाम सामने आते हैं कद्दावर नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक मात्र नेता हैं जो बृजमोहन को टक्कर दे सकते हैं,तो लो प्रोफाइल के दावेदारों में एकमात्र नेता शंकर लाल साहू हैं।
  • 4-इन हालातों में संदेश यह जाएगा की बृजमोहन अग्रवाल के समक्ष नेता के तौर पर भूपेश बघेल हैं, जो छत्तीसगढ़ की जनता के बीच अपनी गहरी पैठ रखते हैं वहीं शंकर लाल साहू के मैदान में उतरने से लोगों को यह लगेगा कि गरीबी और अमीरी के बीच की लड़ाई है।
  • 5-पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की लोकप्रियता निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ के लोगों के बीच है। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते जो स्थानीयता को लेकर काम किया। किसानों के हित को लेकर काम किया। मजदूरों के हित को लेकर काम किया निश्चित तौर पर इसका उन्हें इस चुनाव में लाभ मिलेगा और सबसे बड़ी बात रायपुर लोकसभा के अंतर्गत ग्रामीण अंचल का एक बड़ा भाग आता है। जहां भूपेश बघेल के मुकाबले बृजमोहन अग्रवाल कमजोर पड़ सकते हैं।

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