घर के चौका-बर्तन करने वाले हाथ बने उद्यमी, पढि़ए एक गृहणी की कहानी

By : hashtagu, Last Updated : November 6, 2022 | 11:20 am

स्व सहायता समूह से जुड़ने से आर्थिक आजादी की राह हुई आसान

छत्तीसगढ़। एक समय था, जब घर के कामकाज में ही पूरा दिन बीत जाता था, शाम ढलने के बाद मेरे पति आते थे तो उनके चेहरे पर कोई खुशी नहीं होती थी। क्योंकि जितना वह कमाते थे, उससे घर के महीने का खर्चा निकल पाना कठिन हो जाता था। इस वजह से मैं भी उनसे कपड़े आदि सामान बाजार से लाने की फरमाइश नहीं करती थी। एक बहन ने एक दिन बताया कि अगर हाथ में हुनर हो तो तुम घर बैठे ही कमा सकती हो। फिर क्या था उस समय की गरीबी आज के हालात बहुत फर्क है। ये बोल किसी और के नहीं बल्कि रायपुर के जनपद पंचायत धरसींवा ब्लाक के सारागांव निवासी ममता देवांगन के हैं।

मन में जो सोचा उसे पूरा कर आज गृहस्थी संभालने में पति की कर रहीं मदद

बरहाल, चाहे जो भी हो लेकिन एक बात तो तय है कि अगर मन में लगन हो और हाथ में हुनर आ जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। इसकी जीती जागती उदाहरण ममता देवांगन हैं। इन्हें आज ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) योजना अंतर्गत लक्ष्मी स्व सहायता समूह से जुड़ने से व्यवसायिक सोच मिली। फिर क्या था खुद से व्यवसाय कर आर्थिक आजादी की राह पर चलने की दिशा मिली। ममता देवांगन बताती हैं कि उनके परिवार में उनके पति और दो बच्चे हैं। अब अच्छी आमदनी होने से बच्चों की पढ़ाई लिखाई एवं अन्य पारिवारिक जरूरतों को पूरा कर पाते हैं। ममता ने बताया कि ग्रामीण महिलाएं अब स्व सहायता समूह से जुड़कर आर्थिक रूप से सक्षम हो रहे है। स्वयं के व्यवसाय का कुशतापूर्वक संचालन भी करने लगे हैं।

सिलाई-कढ़ाई केंद्र भी खोलकर कमा रहीं पैसा

छत्तीसगढ़ ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) से जुड़कर स्व सहायता समूह के सभी सदस्यों में सकारात्मक बदलाव आया। सबके मन में कुछ कर गुजरने तथा स्वयं में आत्मनिर्भर बनने एवं आर्थिक आजादी पाने की भावना जागृत हुई। ममता ने बताया कि उन्होंने सिलाई कार्य, सिलाई प्रशिक्षण एवं साड़ी विक्रय का कार्य प्रारंभ किया। उन्हें सिलाई कार्य पहले से ही आता था। उन्होंने स्वयं के पास रखें कुछ पैसों एवं परिवार की मदद से तनुजा साड़ी सेंटर एवं सिलाई का कार्य प्रारंभ किया, साथ ही उन्होंने महिलाओं को सिलाई प्रशिक्षण भी देना शुरू किया। ममता जी ने बताया कि उन्हें सिलाई प्रशिक्षण, सिलाई करने एवं महिलाओं के साड़ी विक्रय कार्य से वर्तमान में प्रतिमाह दस हजार रुपए से अधिक की आमदनी हो रही है और साथ ही अन्य महिलाओं को सिलाई प्रशिक्षण से आजीविका बढ़ाने हेतु प्रयास भी किया जा रहा है ताकि महिलाएं भी अपने जीवन स्तर को सुधारते हुए सफलता की सीढ़ियां चढ़ सके।