छत्तीसगढ़ में हाथियों के उत्पात से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान, मुआवजा दर पर नाराजगी
By : dineshakula, Last Updated : November 18, 2024 | 12:15 pm
By : dineshakula, Last Updated : November 18, 2024 | 12:15 pm
अभी तक, हाथियों के द्वारा फसल नुकसान की क्षतिपूर्ति 9,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से दी जाती है, जो 2016 में तय की गई थी। हालांकि, 2024 में छत्तीसगढ़ में धान की सरकारी खरीदी दर 3100 रुपये प्रति क्विंटल हो चुकी है, जो 2016 की दर (1410 रुपये प्रति क्विंटल) से 120 प्रतिशत अधिक है। बावजूद इसके, मुआवजा राशि में कोई बदलाव नहीं हुआ है। ऐसे में, किसान जहां एक एकड़ धान की फसल से 65,100 रुपये का राजस्व प्राप्त कर रहे हैं, वहीं हाथियों द्वारा पूरी फसल के नुकसान पर उन्हें केवल 9,000 रुपये ही मुआवजा मिलता है।
किसानों का कहना है कि मुआवजा दर इतनी कम होने के कारण वे न केवल आर्थिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि उन्हें हाथियों द्वारा अपनी फसल को बचाने में भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। रायगढ़ जिले में जहां सबसे अधिक 152 हाथी हैं, वहीं प्रदेश में कुल 340 हाथी विभिन्न जंगलों में विचरण कर रहे हैं। पिछले एक महीने में हाथियों के हमले से 400 से अधिक किसानों की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं, और प्रत्येक दिन 30 से अधिक नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में किसानों के बीच मुआवजे की दर को लेकर असंतोष फैल रहा है।
किसान अब सरकार से मुआवजे की दर में वृद्धि की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यदि धान की फसल पर 50,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाए तो वे न केवल आर्थिक रूप से सशक्त होंगे, बल्कि हाथियों से अपनी फसल की रक्षा के लिए संघर्ष करते समय अपनी जान जोखिम में डालने से भी बचेंगे। मुआवजे में इस वृद्धि से हाथियों के हमले और मानव-हाथी द्वंद के मामलों में भी कमी आएगी, जिससे जनहानि और वन्य प्राणियों के प्रति हिंसा की घटनाएं घटेंगी।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में करंट से हाथियों की मौत की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। किसान अपनी फसल की रक्षा करने के लिए बिजली से प्रभावित तार लगाते हैं, जो न केवल हाथियों की मौत का कारण बनते हैं, बल्कि कभी-कभी लोगों की भी जान चली जाती है। इस प्रकार के हादसों से भी जनहानि हो रही है, और किसानों की स्थिति और खराब हो रही है।
राज्य सरकार के द्वारा मुआवजे में कोई वृद्धि नहीं किए जाने से किसानों और ग्रामीणों में नाराजगी फैल रही है। विशेषकर रायगढ़ जिले के किसान, जो इस मुद्दे पर आंदोलन कर चुके हैं, अब बड़े स्तर पर इस मामले को उठाने की तैयारी कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि मुआवजे की राशि बढ़ाकर कम से कम 50,000 रुपये प्रति एकड़ की जाए, ताकि वे अपनी जान की परवाह किए बिना अपनी फसल की रक्षा कर सकें।
किसानों का कहना है कि यदि मुआवजा राशि को बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति एकड़ किया जाता है, तो यह न केवल उनके लिए आर्थिक रूप से मददगार होगा, बल्कि इससे मानव-हाथी द्वंद को भी रोका जा सकेगा। इससे सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा, क्योंकि राज्य के कुल बजट का केवल 0.05 प्रतिशत हिस्सा ही इस राशि में जाएगा। इसके साथ ही, अधिक मुआवजा मिलने से जनहानि की घटनाओं में भी कमी आएगी और वन्य प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।