काेंडगांव । बफना की रहने वाली लीला बाई यादव (Leela Bai Yadav) पेशे से मितानिन हैं और उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा हर महीने महतारी वंदन योजना (Mahtari Vandan Yojana) के तहत आर्थिक सहायता मिलती है। लीला बती कहती हैं, ‘इस योजना से मुझे बहुत खुशी है क्योंकि सरकार हमें घर चलाने के लिए आर्थिक मदद कर रही है, जिससे हम छोटे-मोटे खर्चे आसानी से पूरा कर पाते हैं।‘ लीला बाई के परिवार में तीन बच्चे हैं, दो बेटियां और एक बेटा। उनका बड़ा बेटा एक शो रूम में काम करता है, जिससे परिवार को आर्थिक मदद मिलती है, जबकि दूसरी बेटी अपने पिता के साथ मिलकर एक छोटा होटल चलाती है। वहीं, उनकी सबसे छोटी बेटी कंप्यूटर कोर्स कर रही है। घर में डेढ़ एकड़ खेत है, जहां परिवार खेती करता है। महतारी वंदन योजना की मदद से लीला बाई अपने परिवार के लिए बेहतर जीवन यापन करने में सक्षम हो पाई हैं।
कलेकसा पारा, बफना की शैलेंद्री पोयाम गृहिणी हैं और उनका परिवार मुख्य रूप से खेती-बाड़ी पर निर्भर है। उनके परिवार में सात लोग हैं और उनके पति खेती करके परिवार का खर्च चलाते हैं। शैलेंद्री का परिवार छह एकड़ जमीन पर खेती करता है। महतारी वंदन योजना के तहत मिलने वाली सहायता से शैलेंद्री को अपने परिवार की जरूरतें पूरी करने में मदद मिलती है। इस योजना से उन्हें घर चलाने के लिए आर्थिक राहत मिली है, जिससे उनका परिवार सुखी और संतुलित जीवन बिता रहा है।
बफना, कलेकसा पारा की रहने वाली हितेंद्री देवांगन एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं और उन्हें महतारी वंदन योजना के तहत हर महीने एक हजार रुपये मिलते हैं। हितेंद्री कहती हैं, ‘इस बार दीपावली से पहले हमें राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के हाथों यह राशि मिली, जो हमारे लिए गर्व की बात है। इससे हम दीपावली में बच्चों के लिए पटाखे और मिठाई जैसी जरूरतें पूरी कर पाएंगे। हितेंद्री संयुक्त परिवार में रहती हैं, जिसमें 17 लोग हैं। उनका पूरा परिवार किसान है और खेती-बाड़ी से ही घर चलता है और उनकी डेढ़ एकड़ जमीन से सिर्फ खाने लायक ही उत्पादन हो पाता है। हितेंद्री बताती हैं कि महतारी वंदन योजना से मिलने वाली सहायता राशि से उन्हें और उनकी देवरानी एक-दूसरे की जरूरतों के समय मदद करती हैं, जिससे देवरानी जेठानी के बीच में मन मोटाव जैसे परिस्थिति नहीं रहती।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा महतारी वन्दन योजना के माध्यम से छत्तीसगढ़ के महिलाओं को आर्थिक संबल प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाने और उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए 1000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। लीला बाई, शैलेंद्री और हितेंद्री जैसी महिलाएं इस योजना की वास्तविक लाभार्थी हैं और उनकी कहानियाँ बताती हैं कि यह योजना केवल आर्थिक सहायता नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता और पारिवारिक सामंजस्य का भी प्रतीक है।
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