‘दंडवत यात्रा’ पर साधुओं की टोली, 2 हजार ‘किलोमीटर’ किए तय

आस्था और विश्वास की राह हो और मन में मानव कल्याण का भाव तो हर मंजिल को पार पाने में ईश्वर साथ देता है। देश में सुख, शांति और समृद्धि की कामना लेकर उत्तराखंड के गंगोत्री से 6 साधु रामेश्वरम के लिए निकले हैं।

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  • Updated On - April 23, 2023 / 06:21 PM IST

जगदलपुर। आस्था और विश्वास की राह हो और मन में मानव कल्याण का भाव तो हर मंजिल को पार पाने में ईश्वर साथ देता है। देश में सुख, शांति और समृद्धि की कामना लेकर उत्तराखंड के गंगोत्री से 6 साधु रामेश्वरम के लिए निकले हैं। खास बात यह है कि, इनमें से 3 साधु दंडवत यात्रा (Sadhu Dandavat Yatra) कर रहे हैं। लगभग 10 महीने में करीब 2 हजार किमी की यात्रा कर साधु अब बस्तर (Bastar) पहुंचे हैं।

साधुओं ने बताया कि, गंगोत्री से गंगा जल भी लेकर आए हैं। रामेश्वरम पहुंचकर शिवलिंग में जलाभिषेक करेंगे। उनका मानना है कि, भगवान भोलेनाथ उन्हें शक्ति दे रहे हैं इसलिए वे इस यात्रा को कर पा रहे हैं। इस यात्रा में शामिल साधु दामोदर दास ने बताया कि, 29 जून 2022 को 6 लोग गंगोत्री से रामेश्वरम यात्रा पर निकले हैं। 3 साधु दंडवत यात्रा कर रहे हैं और अन्य 3 लोग उनके साथ पैदल यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, जनकल्याण की कामना लेकर पहली बार गंगोत्री से रामेश्वरम दंडवत यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, अब तक उत्तराखंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश होते हुए छत्तीसगढ़ पहुंचे हैं। मौसम के अनुरूप अपनी यात्रा कर रहे हैं।

साधुओं का कहना है कि, यह दूसरी बार है कि, वे रामेश्वरम की यात्रा कर रहे हैं। इससे पहले साल 2014 में गंगोत्री से रामेश्वरम तक कांवड़ यात्रा किए थे। उस समय भी छत्तीसगढ़ के रास्ते से ही गए थे। उन्होंने कहा कि, जिस शहर और मार्ग से गुजर रहे हैं लोगों की भक्ति और प्यार देखने को मिल रहा है। उनके रुकने का कोई उचित ठिकाना नहीं होता है। जहां मन आया वहीं दिन गुजार लेते हैं। शाम के समय फिर से अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं। खाने का सामान भी साथ लेकर चल रहे हैं।

साधुओं की इस टोली में 60 साल की उम्र के साधु भी शामिल हैं। उनका कहना है कि, यात्रा लंबी है। लेकिन, भोलेनाथ के प्रति भक्ति भी बहुत है। भोलेनाथ ही शक्ति दे रहे हैं। जिस जगह रुकते हैं वहां के लोगों को जानकारी मिलती है तो भक्त पूजापाठ करने के लिए उनके पास आते हैं। कुछ दूरी तक साथ चलते हैं। साधुओं का कहना है कि अब करीब 1200 किमी यात्रा और बची है। पहुंचने का कोई लक्ष्य नहीं रखा है। सिर्फ यात्रा करते जा रहे हैं।