बीएड-डीएड डिग्री विवाद पर हाईकोर्ट ने कहा-किसी नौकरी छीनना समाधान नहीं
By : madhukar dubey, Last Updated : November 7, 2024 | 9:55 pm
जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बीएड प्रशिक्षितों को प्राथमिक के लिए योग्य नहीं माना है, लेकिन माध्यमिक स्कूलों में शिक्षण के लिए ये योग्य हैं. इन 2900 सहायक शिक्षकों के प्रति सरकार की जि़म्मेदारी है। सरकार के पास अपनी शक्तियां है, जिनका प्रयोग कर इनकी सेवा सुरक्षित रखी जा सकती है।
गौरतलब है कि 2 अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट और 28 अगस्त 2024 को सुप्रीमकोर्ट के फैसले से लगभग 2900 बीएड प्रशिक्षित नवनियुक्त सहायक शिक्षकों की नौकरी ख़तरे में आ गई है. ये सभी सहायक शिक्षक बस्तर और सरगुजा सम्भाग के सुदूर अंचल में विगत एक वर्ष से अपनी सेवाएं दे रहे हैं. अप्रत्याशित रूप से नियमों में बदलाव की वजह से इन पर पदमुक्ति का ख़तरा मंडरा रहा है. सभी बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों ने पूर्व में भी वर्ग 2 (मिडिल) में समायोजन के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को विभिन्न शिक्षक संगठनों के माध्यम से ज्ञापन सौंपा है।
बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों का कहना है कि सहायक शिक्षकों को शिक्षक पद पर समायोजित कर दिया जाए, क्योंकि पूरी प्रक्रिया में अभ्यर्थियों का कोई भी दोष नहीं है. आज सभी 3000 शिक्षक सहित पूरे परिवार की आजीविका इसी नौकरी पर आश्रित है। मामले की अगली सुनवाई 28 नवम्बर को होगी। हाईकोर्ट ने सरकार को इन बिंदुओं पर विचार करने कहा है।
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