छत्तीसगढ़। (Reservation) आरक्षण को लेकर राज्यपाल सचिवालय को दी गई नोटिस पर (High Court stayed) हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया है। राज्य शासन की याचिका पर राजभवन को नोटिस जारी होने के बाद इसकी संवैधानिकता पर अब सवाल उठाया गया है। प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अंतरिम तौर पर स्थगन दे दिया है। अब इस केस की सुनवाई 24 फरवरी को होगी।
आरक्षण विधेयक बिल को राजभवन में रोकने को लेकर राज्य शासन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद राज्यपाल सिर्फ सहमति या असहमति दे सकते हैं। लेकिन, बिना किसी वजह के बिल को इस तरह से लंबे समय तक रोका नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल अपने संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग कर रही हैं। राज्य शासन की इस याचिका पर बीते दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पैरवी करने पहुंचे थे। उनके तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे ने केंद्र सरकार के साथ ही राज्यपाल सचिवालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
बी गोपा कुमार के मुताबिक आरक्षण विधेयक बिल को राज्यपाल के पास भेजा गया है। लेकिन, इसमें समय सीमा तय नहीं है कि, कितने दिन में बिल को निर्णय लेना है। याचिका के साथ ही उन्होंने अंतरिम राहत की मांग करते हुए तर्क दिया और कहा कि याचिका पर राजभवन को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने हाईकोर्ट से जारी नोटिस पर अंतरिम रूप से रोक लगाने की मांग की थी, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है और राजभवन को जारी नोटिस पर रोक लगा दी है।