DMF घोटाले में IAS रानू साहू को 57.85 करोड़ की घूस, नियम बदलकर बंटा कमीशन
By : hashtagu, Last Updated : June 20, 2025 | 4:36 pm

कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड (DMF) घोटाले में बड़ा खुलासा हुआ है। एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की जांच में सामने आया है कि फंड खर्च के नियमों में जानबूझकर बदलाव कर अफसरों ने करोड़ों की घूस ली। आरोप है कि इस घोटाले में कोरबा की तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू को अकेले 57.85 करोड़ रुपए बतौर कमीशन मिले। जांच में यह भी सामने आया है कि टेंडर की स्वीकृति के बदले टोटल अमाउंट का 40% हिस्सा कलेक्टर को, 5% सीईओ को, 3% एसडीओ को और 2% सब इंजीनियर को कमीशन में दिया जाता था।
एसीबी ने कोर्ट में 6,000 पन्नों की चार्जशीट पेश की है जिसमें बताया गया है कि DMF के फंड को गलत तरीके से इस्तेमाल करने के लिए मटेरियल सप्लाई, खेल सामग्री, मेडिकल इक्विपमेंट, कृषि उपकरण और ट्रेनिंग जैसी नई कैटेगरी जोड़ी गईं ताकि अधिकतम कमीशन वाले प्रोजेक्ट पास किए जा सकें। दस्तावेजों के अनुसार, इस करप्शन प्लान में रानू साहू के साथ कोल कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, एसी ट्राइबल अफसर माया वारियर और शासन के कुछ प्रभावशाली लोग शामिल थे। इन्हीं कारणों से रानू साहू को जानबूझकर कोरबा कलेक्टर बनाया गया था।
वेंडरों से घूस वसूलने के लिए एक संगठित सिस्टम खड़ा किया गया था। माया वारियर ने बालोद से कोरबा स्थानांतरण के बाद इस पूरे नेटवर्क को ऑपरेट किया। आरोप है कि उन्होंने ज्योति ट्रेडिंग कंपनी से 25.95 लाख की इनोवा क्रिस्टा रिश्वत में ली, जबकि ऋषभ सोनी नामक वेंडर से 24.78 लाख की घूस ली गई। इस डीलिंग में कलेक्टोरेट का कर्मचारी अमन कुमार राम मध्यस्थ की भूमिका में था, और रकम की वसूली रवि जांभुलकर ने की।
माया वारियर पर कुल करीब 3 करोड़ की रिश्वत लेने के आरोप हैं। जांच में पता चला है कि घोटाले की रकम सीधे अफसरों में बंटी और DMF के असली उद्देश्य यानी खनिज क्षेत्र के विकास को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। इस पूरे घोटाले में अब तक कई अधिकारियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और ACB जांच के दायरे में और भी नाम आ सकते हैं।