रायपुर। छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला (Liquor scam) हालांकि अभी जांच के दायरे में है लेकिन इस घोटाले पर इतना मिडिया ट्रायल हो गया है कि जनता आरोपियों को अभियुक्त मान चुकी है। पिछली सरकार के हर काम में ढेबर परिवार का दखल तो आम बात थी खासकर शराब घोटाला और ढेबर तो पर्यायवाची बन गए थे। अब राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और इस सरकार की आबकारी नीति भी बन चुकी है और उस पर अमल भी शुरू हो गया है। अंदरख़ानों से खबर आ रही है कि राज्य के कुछ शराब कारोबारी इस सरकार में भी ढेबर जैसी भूमिका पाने की जुगाड़ लगा रहे हैं और सरकार को यह समझाने में लगे हैं कि किसी भी राज्य के शराब कारोबार में ढेबर जैसे लोगों की जरुरत क्यों होती है। इस जुगाड़ में बिलासपुर के शराब कारोबारी मंजीत सिंह गुम्बर (Liquor businessman Manjeet Singh Gumber) का नाम सबसे आगे है। हालाँकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में ऐसी कोई भी खुराफात पनप नहीं सकती।
सूत्रों के मुताबिक मंजित सिंह अपने शराब करोबार में फर्म को बदल-बदल कर काम करने में माहिर है। इसका खुलासा मध्यप्रदेश में उसके ब्लैकलिस्टेड होने के कारणों से पता चलता है। वह शराब व्यवसाय में लगी फर्म के साथ मिलकर ठेका और टेंडर की प्रक्रिया में भाग लेता है। और फिर नेता और अधिकारियों की मिलीभगत कर अपने मंसूबों को अंजाम देता है। सुनने में आ रहा है कि बीजेपी सरकार की पारदर्शी आबकारी प्रक्रिया में सेंधमारी करने के लिए गुम्बर सेटिंग-गेटिंग में लगा है। वह राजनैतिक संबंधों के जरिए छत्तीसगढ़ में अपने शराब व्यवसाय का धंधा जमाने की फिराक में है लेकिन बीजेपी की सरकार में ऐसा संभव होना नामुमकिन ही है।
मध्यप्रदेश शासन की वर्ष 2023-24 की आबकारी नीति आने के बाद शराब कारोबारी लाइसेंस लेने की प्रक्रिया में जुटे हैं। इसी बीच रीवा के प्रभारी जिला सहायक आबकारी आयुक्त अनिल जैन ने छग के मशहूर कारोबारी ठेकेदार मंजीत सिंह गुम्बर सहित एक दर्जन करोबारियों पर गाज गिरा दी। इसमें मंजीत सिंह ठेकेदार मंजीत सिंह गुम्बर को ब्लैक लिस्टेड कर दिया। अपने जांच प्रतिवेदन में बताया कि मंजीत सिंह पर वर्ष 2022-23 में 2 करोड़ 67 लाख रुपए से ऊपर का खिसारा निकाला गया है। इसके साथ मंजीत सिंह गुंबर के पुत्र रवीश सिंह गुंबर सहित अन्य पर वर्ष 2020-21 में 51 करोड़ 38 लाख रुपए से ऊपर खिसारा निकाला गया था। उक्त राशि जनवरी 2023 तक नहीं जमा कर पाने से उसको ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया।
आबकारी विभाग के मुताबिक छत्तीसगढ़ के शराब कारोबारी मंजीत सिंह ने रीवा में वर्ष 2020-21 में अपने फर्म का नाम बदल दिया था। लिहाजा उस वक्त एकल ठेका होता था। मेसर्स गोपाल एसोसिएटस के नाम पर जिले की शराब दुकानों को ठेका लगभग 261 करोड़ रुपए में लिया था। परंतु कोरोना काल की वजह दुकानें बंद होने पर दो माह में अपने हाथ खींच लिए। इसका फायदा पूर्व विधायक ने उदित इंन्फ्रवलर्ड फर्म के नाम पर 280 दिनों के लिए लगभग 151 करोड़ रुपए में जिले में शराब दुकानों का ठेका लिया था। बीच में ही ठेका छोड़ने पर आबकारी विभाग ने खिसारे की राशि 51 करोड़ 38 लाख 31 हजार 284 रुपए जमा किए जाने की नोटिस जारी की। जिसे जमा नहीं किए लेकिन बड़ी ही चालाकी से फिर मंजीत सिंह ने एक नई फर्म बनाकर नीलामी की प्रकिया में शामिल होने के लिए एबीसी इंटरप्राइजेज फर्म बना डाली और इसी नाम से सेमारिया सहित मऊगंज समूह की शराब दुकानों को हासिल कर लिया। परंतु उनको भी नहीं चला पाए और बीच में ही दुकान छोड़ दी। जिस पर फिर आबकारी विभाग ने 2 करोड़ रुपए 67 लाख 50007 रुपए का खिसारा निकाला दिया। फिर क्या था, इस शराब कारोबारी ने फिर हद करते हुए आबाकारी की आंखों में धूल झोंकते हुए मेमर्स घनश्याम ट्रेंडर्स के नाम पर मनगवां और गोविंदगढ़ शराब दुकान समूह का लाइसेंस हासिल कर लिया है। लेकिन इधर, चर्चा है कि छत्तीसगढ़ में यह कारोबारी अपनी जुगाड़ में लगा है।
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