झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बोले, छत्तीसगढ़ में हो रहा आदिवासी और पिछड़ों को आगे बढ़ाने का काम

By : dineshakula, Last Updated : November 5, 2022 | 3:24 pm

राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आये थे शिरकत करने

छत्तीसगढ़/रायपुर। झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल राज्य में ऐसे वर्ग को आगे बढ़ा रहे हैं जिनका सदियों से शोषण हुआ है। उनकी सरकार आदिवासी, दलित और पिछड़े लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही सबके विकास के लिए कार्य कर रही है। मुझे इस मंच में आकर गौरव महसूस हो रहा है। हेमंत सोरेन राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव और राज्योत्सव के समापन समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित कर रहे थे।

झारखंड के मुख्यमंत्री सोरेन ने आगे कहा कि झारखंड और छत्तीसगढ़ में इतनी समानता है कि दोनों राज्यों के कई ऐसे क्षेत्र है। जहां पता लगाना मुश्किल है कि यह क्षेत्र दोनों राज्यों में से किस राज्य का है। वास्तव में झारखंड और छत्तीसगढ़ दोनों भाई है। दोनों राज्य के लोगों के राज्यों के लोगों का एक-दूसरे के राज्य में आना-जाना लगा रहता है।

सीएम भूपेश के कार्यकाल में हो कार्यों को भी सराहा

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के माध्यम से पूरे देश और दुनिया में आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं, जो सदियों से संघर्ष कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष में इसी आयोजन में शामिल होने रायपुर आया था। यहीं की प्रेरणा से झारखंड में विश्व आदिवासी दिवस मनाया, जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी शिरकत की थी। सोरेन कहा कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के जरिए यह संदेश देने का भी सफल प्रयास किया गया है कि जब तक सभी वर्गों का विकास नहीं होता तब तक देश का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता।

सीएम भूपेश बघेल ने कहा यहां भाग लेने के 22 देश इच्छुक थे

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि आदिम संस्कृति सभी को जोड़ने का कार्य करती है। इसे सहेज कर और इसकी खूबसूरती को बड़े फलक पर दिखाने के उद्देश्य से हमने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया है। मुझे इस बात की खुशी है कि इस आयोजन में बहुत बड़ी संख्या में लोगों ने भागीदारी की। रात बारह बजे तक लोग इस सुंदर आयोजन को देखने बड़ी संख्या में जुटते रहे। उन्होंने कहा कि हमने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस आयोजन के लिए आमंत्रित किया। साथ ही २२ देश के आदिवासी कलाकार इस आयोजन में शिरकत करने के इच्छुक थे लेकिन समयसीमा को देखते हुए हमने केवल १० देशों को स्वीकृति दी। इस आयोजन के माध्यम से लोगों ने जाना कि हमारी आदिवासी संस्कृति कितनी समृद्ध है। इनके नृत्यों के माध्यम से प्रकृति और लोकजीवन को सहेजने के सुंदर मूल्य जो सीखने को मिलते हैं वो सीख हमारे लिए अमूल्य है।

इन श्रेणियां को मिला पुरस्कार, कलाकारों का किया गया सम्मान

फसल कटाई की श्रेणी में पहला स्थान छत्तीसगढ़ के करमा नृत्य को- राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के पुरस्कार भी इस अवसर पर दिये गये। फसल कटाई की श्रेणी में प्रथम स्थान पर छत्तीसगढ़ के करमा नृत्य को, दूसरे स्थान पर ओडिशा के ढेंगसा नृत्य को और तीसरे स्थान पर हिमाचल प्रदेश के गद्दी नृत्य को पुरस्कृत किया गया। इस श्रेणी में सांत्वना पुरस्कार असम को दिया गया। विवाह संस्कार में पहला स्थान सिक्किम को- विवाह संस्कार एवं अन्य श्रेणी में पहला स्थान सिक्किम के तमांग सेलो नृत्य को, दूसरा स्थान ओडिशा के घुड़सा नृत्य को और तीसरा स्थान झारखंड के डमकच नृत्य को मिला। विशेष ज्यूरी सांत्वना सम्मान असम को और गुजरात को मिला। इसके अलावा विदेश से आये कलाकारों का भी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सम्मान किया। इस श्रेणी में सांत्वना पुरस्कार गुजरात के सिद्धी धमाल नृत्य को दिया गया। कृषि विभाग की प्रदर्शनी को पहला स्थान- इस मौके पर विभिन्न विभागों की प्रदर्शनी भी पुरस्कृत की गई। पहला स्थान कृषि विभाग को, दूसरा स्थान ऊर्जा विभाग को और तीसरा स्थान वन विभाग को मिला। सार्वजनिक उपक्रमों की श्रेणी में पहला पुरस्कार बाल्को, दूसरा पुरस्कार एनएमडीसी तथा तीसरा पुरस्कार एनटीपीसी को मिला।

समापन समारोह में ये भी अतिथि के रूप में मौजूद रहे

समापन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरू रूद्रकुमार, संसदीय सचिव कुंवरसिंह निषाद, विधायक धनेन्द्र साहू, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा, पीसीसीएफ संजय शुक्ला, पर्यटन विभाग के सचिव अन्बलगन पी. एवं संचालक संस्कृति श्री विवेक आचार्य मौजूद थे।