रायपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले (liquor scam) में आरोपित आबकारी अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका को रायपुर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस अरविंद वर्मा ने मामले में स्पष्ट किया कि, इतने बड़े घोटाले में आरोपियों को संरक्षण नहीं दिया जा सकता और वे जल्द से जल्द सरेंडर करें।
हाईकोर्ट ने आरोपित अधिकारियों को सरेंडर करने की सलाह दी और कहा कि, जमानत याचिका तभी स्वीकार की जा सकती है जब वे निचली अदालत में सरेंडर करें। याचिकाओं की खारिज होने के बाद आरोपित अधिकारियों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं, और अब उनकी गिरफ्तारी जल्द हो सकती है।
अग्रिम जमानत याचिका में आरोपित अधिकारियों ने दावा किया था कि वे निर्दोष हैं और उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है। इन अधिकारियों ने यह भी कहा कि वे ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) की जांच में पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं। कई अधिकारियों ने अपनी स्वास्थ्य समस्याओं का भी हवाला दिया और जमानत देने की मांग की, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि इस प्रकार के गंभीर मामले में कठोर कार्रवाई जरूरी है।
राज्य शासन की ओर से भी जमानत याचिकाओं का विरोध किया गया। हाईकोर्ट को बताया गया कि इस मामले में चालान तैयार है, लेकिन आरोपित अधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण चालान पेश नहीं किया जा सका। इसके बाद हाईकोर्ट ने याचिकाएं खारिज करते हुए आरोपितों को निचली अदालत में सरेंडर करने का आदेश दिया।
इस शराब घोटाले में 22 आबकारी अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है, जिनमें से सभी अधिकारियों को राज्य सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। इन अधिकारियों पर आरोप है कि वे प्रदेश में हुए घोटाले के एक सिंडिकेट का हिस्सा थे, और इसके जरिए उन्होंने 88 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध वसूली की।